नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: हनुमान का नाम लो, हनुमान का नाम लो…
एक सुबह, महाराज जी, श्रीमान बर्मन और मैं कैंची से काकरियाघाट में नवनिर्मित हनुमान मंदिर के लिए निकले। सड़क के किनारे बहने वाली नदी बाढ़ के उच्च चरण में थी और उसमें पड़ी रेत लाल रंग की थी। हम एक ऐसी जगह पहुँचे जहाँ बाढ़ के पानी ने सड़क को रेत से ढक दिया था और हमारी गाड़ी फंस गई थी। बाबाजी ने मुझसे कहा, "चलो, मुझे बाथरूम जाना है ।" बर्मन से बाबा ने कहा, "चिंता मत करो, कोई आकर हमारी गाड़ी निकाल देगा।"
एक घंटे के बाद, हम वापस लौटे और पाया कि कुछ लड़कों ने कार को रेत से निकाला लिया था । हम वापस कैंची के लिए शुरू हुए और पानी से भरे गड्ढे में आ गए। महाराज जी ने कहा, “हनुमान का नाम लो। हनुमान का नाम लो।" हम पानी के बीच से सुरक्षित निकल गए, लेकिन जैसे ही हमने इसे पार किया, चट्टान का एक बड़ा टुकड़ा हमारे पीछे सड़क पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
बाबाजी चिल्लाए, "हनुमानजी ने हमें बचा लिया है!" मैंने महाराज जी के हाथों की ओर देखा और देखा कि उनकी हथेलियाँ नदी की रेत से चमकीली लाल थीं।
— बाई हिस ग्रेस