नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ: भक्त के बुख़ार को कलाकंद का एक टुकड़ा खिला उतारा

नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ: भक्त के बुख़ार को कलाकंद का एक टुकड़ा खिला उतारा

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एक बार सिंह साहब लखनऊ से अपनी कार में कैची गए और वहा आश्रम के पास ही डाक बंगले में ठहरे । वहा पहुंचते ही आप को ज्वर हो गया । आप उसी बेचैनी में बाबा के दर्शन के लिए चल दिए । बाबा मोटर सड़क पर ही आपको ककंडो के ऊपर बैठे मिल गए । ज्योहि आप श्री चरणों को नमन और स्पर्श करने झुक ही रहे थे, बाबा ने कंबल से हाथ बाहर निकाल कर आप की ओर बड़ाया ।

आपने देखा बाबा उन्हें कलाकंद का टुकड़ा दे रहे थे । आप नमन करने की जल्दी में थे आपने उसे तुरंत अपने मुंह में डाल दिया और अपने सिर को उनके चरणों पर रख दिया । सिर उठाते ही आप अनुभव करने लगे कि आपको ज्वर ने छोड़ दिया और आप स्वस्थ हो उनसे बाते करते रहे । इसी प्रकार का एक अनुभव आपको इस घटना के बहुत समय बाद भी हवा।

25 दिसंबर 1965 का दिन था, आपको सूचना मिली की बाबा लखनऊ आए हुए है। आप उनकी खोज ने अनेक भक्तो के घर गए । बाबा के दर्शन आपको कही नही हो पाए। आप अंत में उनको खोजते हुए चौक में एक भक्त के घर पहुंचे। इस बार आपको और भी तेज ज्वर था । यहां आपको बाबा मिल गए । आप जैसे ही उन्हें नमन करने झुक रहे थे बाबा ने अपनी उंगली आगे बढ़ा कर आपके पेट में छूआ दी। तत्काल आपका ज्वर शांत हो गया और आप उनके सत्संग का आनंद लेते रहे ।

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