नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: विदेशियों के साथ महाराज जी के खेल
अमेरिका में ताओस आश्रम के प्रबन्धक, मिस्टर जॉन केन नामक भी अपना एक विचित्र अनुभव सुनाया। ‘मेरी कार लेकर न्यू मैक्सिको (अमरीका) में घूम रहा था तो अमरीकन मेरा एक मित्र जब ताओस उसके पास ड्राइविंग-लाइसेन्स न होने के कारण वहाँ की ट्रैफिक पुलिस ने उसे दबोच लिया ।
अपने को बचाने के लिये उसने पुलिस अफसर से कह दिया कि गाड़ी उसकी नहीं है, उसके दोस्त जॉन केन की है। तब पुलिस अफसर मेरी तलाश में हमारे ताओस आश्रम में पहुँच गया और मेरी शिनाख्त कर उसने मेरे नाम वारंट लिख डाला । परन्तु तभी उसकी दृष्टि ऊपर को उठ गई और उसे दीवार पर टंगी महाराज जी की एक बड़ी फोटो-छबि दिख गई ।
छबि देखते ही उसने मुझसे तेज आवाज में पूछा, “यह किसका चित्र है ? कौन है यह आदमी और कहाँ है ?” मैंने सीधा-सा उत्तर दे दिया कि, "यह चित्र मेरे गुरु महाराज जी का है जो भारत में रहते हैं ।" तब वह भौंचक्का-सा हो बोला, "यह आदमी तुम्हारा गुरु है ? और भारत में रहता है ? इसकी तो हम कुछ सप्ताह से भारी तलाश में हैं। इसके पास शायद कोई वीसा पासपोर्ट आदि नहीं है।
किन्तु यह कभी इस सड़क पर तो कभी उस चौराहे पर दिखता रहता है कम्बल ओढ़े, और जैसे ही हम इसके पास इसे पकड़ने जाते हैं तो यह गायब (अदृश्य) हो जाता है ।" तब पुनः कुछ सोच में पड़ने के बाद पुलिस अफसर बोल उठा- "जब ऐसी शक्ति-सामर्थ्य वाला व्यक्ति तुम्हारा गुरु है तो तुम्हें ही पकड़ कर हम क्या कर लेंगे। जाओ, तुम मुक्त हो ।” और ऐसा कहते उसने मेरे नाम जारी वारंट फाड़ डाला !!!