नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: महाराज जी का अलौकिक टेलीफोन...

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: महाराज जी का अलौकिक टेलीफोन...

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अपने अलौकिक टेलीफोन से महाराज जी टेलीफोन वालों के पास अपना सन्देश, अपनी आज्ञा आदि भेज ही देते थे। स्वयँ बिना टेलीफोन के प्रयोग के भी, अथवा टेलीफोन सुविधा होने पर उस पर बिना सरकारी टेलीफोन बिल के । श्री जमुना दत्त पंत (इलाहाबाद) तथा दादा के घर से तथा अन्य स्थानों से भी, जहाँ टेलीफोन सुविधा नहीं थी, लोगों को बाबा जी के टेलीफोन मिलते रहते थे ।

ऐसा एक बार तब भी हुआ जब लखनऊ में केहर सिंह जी और उनकी पत्नी पहले बड़ी देर तक अपनी भैंस के सामने इस आशा से बैठे रहे कि ग्वाले के प्रयासों से शायद भैंस दूध दे दे। फिर दोनों दुःखी हो बिस्तरों पर जा लेटे बिना नींद के कि अपनी ईमानदारी की कमाई से खरीदी भैंस सूख गई है खरीद के इतने शीघ्र।

तभी (दादा के घर विराजमान) बाबा जी का फोन आ गया “केहर सिंह, क्या कर रहा है ?”“कुछ नहीं, महाराज ।”“नहीं, तू और तेरी पत्नी परेशान हो कि भैंस दूध नहीं दे रही है। अब, सो जाओ । कल सुबह दे देगी भैंस दूध ।” और टेलीफोन बन्द !! दूसरी सुबह से भैंस ने पुनः दूध देना प्रारम्भ कर दिया !!

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