नीब करौरी बाबा की अनंत गाथाएँ: सेब खिलाकर ब्लड कैन्सर, सर दर्द को हरी ओम् के जाप से...अलौकिक उपचार की ये कहानियाँ

नीब करौरी बाबा की अनंत गाथाएँ: सेब खिलाकर ब्लड कैन्सर, सर दर्द को हरी ओम् के जाप से...अलौकिक उपचार की ये कहानियाँ

2 min read

महाराज जी द्वारा ऐसी ही विचित्र लीला-क्रीड़ाओं द्वारा रोगों के उपचारों की अनेक गाथायें हैं । (स्मृति-सुधा में दिये गये विभिन्न भक्तों के अपने अनुभवों के अनुसार) जहाँ देवकामता दीक्षित जी (लल्लू दादा) के चाचा जी को लगभग अन्धे हो जाने पर तथा डाक्टरों द्वारा इस अन्धेपन को ला-इलाज घोषित किये जाने के बाद भी महाराज भी ने उन्हें केवल कान्धारी अनार का रस पिलवाकर ठीक कर दिया, तो वहीं आम खिलवा कर अथवा अपने भोग की रोटी ही खिलाकर कठिनतम एवं असाध्य रोगों से वे भक्तों को मुक्त करते रहते थे ।

श्री पदमपत सिंघानियाँ को केवल सेब खिलवाकर ब्लड कैंसर से मुक्ति दिला दी । वर्ष १६५५ में श्री नित्यानन्द पाण्डे (तब भवाली सेनेटोरियम में कार्यरत) की चौबीसों घंटे रहने वाली परम दुःखदायी आधा शीसी (सिरदर्द) पाण्डे जी के महाराज जी के श्री चरणों में मस्तक रखने तथा उनसे आशीर्वाद रूप हरिःओम सुनने पर ही हमेशा के लिए दूर हो गई ।

इलाहाबाद में तो एक भक्त विशेष का जन्म-जात मिर्गी का रोग उसी के घर केवल विद्यमान रहकर ही सदा के लिये दूर कर दिया । गीता शर्मा की माँ की असह्य पीड़ा स्वय ग्रहण कर (उसे अपने में भस्म कर) उन्हें रोगमुक्त कर दिया, और सूबेदार मेजर जगदेव सिंह के महीनों बहते कान को स्वयं झेलकर उनके कान का बहना बन्द कर दिया। श्री केहर सिंह जी की डाइबिटीज एवं भीषण रूप प्राप्त डाइरिया स्वयं झेलकर उन्हें रोगमुक्त कर दिया ।

कुँअर प्रबल प्रताप सिंह जी के मरणांतक स्थिति प्राप्त लड़के को केवल गंगाजल के छीटे मारकर ही चंगा कर दिया जब कि सभी डाक्टरी उपाय फेल हो चुके थे । कहाँ तक गिनाई जा सकती हैं अलौकिक उपचार की ये गाथायें ।

logo
The News Agency
www.thenewsagency.in