नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: अमेरिकन जिज्ञासु डा० रिचर्ड एलपर्ट को सीख दे बना दिया रामदास
अमेरिकन जिज्ञासु डा० रिचर्ड एलपर्ट (जिसे महाराज जी ने रामदास बना दिया था) के माध्यम से महाराज जी ने सभी को सीख दी थी कि जब तक कोई कामिनी-कांचन से लिप्सा रखता है तब तक उसे कोई भी (आध्यात्मिक) उपलब्धि नहीं हो सकती, न उसका संसार ही बन सकता है।
परन्तु डालरों में डूबे और फलस्वरूप सहज ही अन्य वासनाओं में लिप्त इस अमेरिकन को, आध्यात्मिक जिज्ञासु होते हुए भी, यह सीख कहाँ आ सकती थी समझ में । फिर भी महाराज जी ने उसे यों ही नहीं छोड़ दिया (उसे अपने पूर्वकालिक विदेशी चरणाश्रितों के आत्मिक उत्थान का दायित्व जो सौंपना था ।) उन्होंने लीला रची और उसे बनारस भेज दिया जिज्ञासा तुष्टि (?) हेतु !
और बनारस पहुँच, सब कुछ भूल, रामदास अपने सहज आचरण के अनुकूल पूरी तरह कामिनी-कांचन के भोग-जाल में फँस गया । पर जब कुछ काल बाद एक दिन (प्रभु प्रेरित) उसने अपने इस वर्तमान जीवन की समीक्षा की तो सहसा उसे बाबा जी महाराज की सीख कामिनी-कॉचन से दूर रहो के अर्थ समझ में आ गये !! और उस ओर से वितृष्णा-वश वह पुनः महाराज जी के पास आ गया ।
(मिरेकिल ऑफ लव में रामदास)