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नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: वहाँ कात्यायिनी रहती है जिसके कारण हनुमान को यहाँ आना पड़ा
बजरंगगढ़ की स्थापना के कई वर्ष पूर्व ही नैनीताल में एक चाँदनी रात में पाषाण देवी मंदिर के नीचे एक शिला खण्ड पर बैठे झील के उस पार एक भवन को इंगित करते हुए बाबा जी बोल उठे, “पूरन, वहाँ कात्यायिनी रहती है जिसके कारण हनुमान को यहाँ आना पड़ा ।"
भवन था इंडिया होटल और कात्यायिनी थी श्री सिद्धी माँ, जिनकी गहनता का अनुमान तब तक किसी को न था पूरनदा को भी नहीं, (जो तब महाराज जी को भी केवल बाबा जी मानते थे और माँ को केवल अन्य भक्त-माइयों की तरह अपना समकक्षी) और न तब माँ के परिवारी ही महाराज जी के भक्त थे।
इस साधारण-से कथन में ही महाराज जी ने न के केवल अपने शिव-रूप का, वरन श्री माँ का भी मूलतत्व अनावृत कर दिया !!