नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: महाराज जी का आशीर्वाद और हनुमान चालीस का पाठ!
हमारे परिवार के एक मित्र (नाम गुप्त रखने का निर्देश) अक्सर हमारे साथ वृन्दावनधाम, और कभी कभी कैंचीधाम भी श्री माँ महाराज के दर्शनों को आते रहते थे । पिछले साल उनकी १६ साल की युवा कन्या को, जो तब इन्टर में पढ़ती थी, एक विचित्र बीमारी ने घेर लिया अल्ट्रा साउंड परीक्षण से ज्ञात हुआ कि उसके डिंभाशय में खतरनाक किस्म की दो अजीब-सी गाठें (सिस्ट) उभर आईं हैं जिसके कारण उदर में भीषण पीड़ा होती थी ।
चार वर्ष पूर्व भी ऐसा दर्द होता था पर तब मामूली इलाज से ठीक हो गया था । आपरेशन के अलावा और कोई चारा न था। परन्तु उसके बाद कन्या मातृत्व प्राप्ति की संभावनायें नहीं के बराबर ही होतीं। स्वाभाविक था कि माता-पिता और स्वयं कन्या भी इस कारण अत्यन्त चिन्तित एवं दुखी हो उठे थे । किसी अन्य से इस गोपनीय विषय में वे राय भी नहीं ले सकते थे। तब भी उन्होंने मुझको विश्वास में लेकर फोन में सब बता दिया ।
जानकर मैं भी बहुत दुखी हो उठी और बोली, "आपने पहले क्यों नहीं बताया । मैं तो कल ही वृन्दावन गई थी (श्री) सिद्धी माँ के पास उन्हीं से कुछ कहते ।" तब वे बोली, “मुझे भी ले चलो कल उनके पास ।” (माँ पर एक अप्रत्याशित रूप के विश्वास ने उन्हें यही प्रेरणा दे दी 1)
अस्तु, हम दूसरे ही दिन वृन्दावन पहुँचे माँ के पास । वहाँ वे माँ के आगे खूब रोई, पर कारण पूछने पर भी माँ से स्वयं कुछ न बोलीं - मैंने ही माँ को सारी दास्तान बताई तब माँ बोलीं, “रोओ मत । सब ठीक हो जायेगा । कल लड़की को भी लाना यहाँ ।” और वे दूसरे दिन लड़की को लेकर पुनः माँ के श्री चरणों में पहुँच गईं । माँ ने लड़की से, जो अपनी स्थिति और अपने भविष्य की चिन्ता से दुखी थी, कहा, “घबराना मत । सब ठीक हो जायेगा । रोज खूब हनुमान चालीसा का पाठ करना । जाओ ।” माँ-बेटी कुछ आश्वस्त और कुछ शंकित मन से आगरा वापिस आ गई ।
अगले सप्ताह लड़की का आपरेशन होना था । परन्तु आगरा पहुँचने के दूसरे दिन ही जब उन्होंने अल्ट्रा साउंड करवाया सफल आपरेशन हेतु तो न तो कोई गाँठ मिली और न कोई अन्य खराबी !! लड़की पूर्णतया साधारण स्थिति में थी !! और आज भी पूर्णतया स्वस्थ युवती है !! (१९६५)