नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: आपरेशन की कोई जरूरत नहीं है ऐसे ही ठीक हो जायेगा !
मैं बैंगलूर गया था अपनी कम्पनी के काम से । वहाँ कुछ दिनों की दौड़-धूप एवं इंजीनियरिंग मशीनों की बारीकी में उलझे उठक-बैठक के कारण एक दिन मेरी रीढ़ की हड्डी की अन्तिम ग्रन्थि में एकाएक भीषण टीस-सी उठी और शीघ्र ही सारे कमर में फैल गई। अब मैं ठीक से न खड़ा हो सकता था और न बैठ ही सकता था ।
अस्पताल में भरती हुआ जहाँ परीक्षण के बाद लम्बे उपचार हुए, पर स्थिति पूर्ववत बनी रही हिलना-डुलना दूभर हो चला। अल्ट्रा साउंड का निदान था स्लिप डिस्क । इसी तरह एक माह से ऊपर बीत गया बैंगलूर में ही । अन्त में डाक्टरों ने दिल्ली जाने की सलाह दी । वहाँ पूरे परीक्षणों के बाद एकमात्र उपचार आपरेशन बताया गया । तब मेरी पत्नी और मुझमें एक ही राय बनी कि इस विषय में पहले श्री माँ से आशीष ले लें ।
अतः हम किसी तरह कैंची आ गये, और माँ से सब हाल कहा। सुनकर माँ ने तत्काल कह दिया, “कुछ नहीं हुआ है । आपरेशन की कोई जरूरत नहीं है ऐसे ही ठीक हो जायेगा ।” और इस सम्बन्ध में (अपनी शक्ति पर परदा डालते तथा लौकिकता निभाते) आश्रम की एक वृद्धा माता, दादी अम्मा को बुलाकर कहा “इसके कमर में दर्द है । ठीक कर दो ।”
और दादी अम्मा ने भी (आज्ञा पालन हेतु) केवल एक दराँती (हँसिया) कपड़े में लपेट, मेरी कमर में (मन ही मन कुछ मंत्र से पढ़ते) उस दराँती को घुमा घुमा कर पता नहीं क्या किया कि मेरा दर्द स्वतः ही कम होने लगा और दूसरे दिन इसी क्रिया के अन्तर्गत पूरी तरह लोप हो गया !!
उसके बाद तो मैं शीघ्र ही हल्द्वानी अपने काम पर लौट आया और फिर कई बार स्वयं गाड़ी चलाकर माँ-महाराज के दर्शन हेतु कैंची आता-जाता रहा । क्या डाक्टर-विशेषज्ञों एवं अल्ट्रा साउंड द्वारा किया गया निदान गलत था ?
या फिर दादी अम्मा की उस दराँती का कमाल था कि दो माह से होता भीषण दर्द दो दिन में बिला गया ? या फिर श्री माँ के अमोघ श्री वचनों का कि 'कुछ नहीं हुआ है ऐसे ही ठीक हो जायेगा' का सुफल !!
— ओम प्रकाश सिक्का