नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: अच्छा किताबें ला और कलम भी!
महाराज के एक पुराने भक्त नन्दाबल्लभ जोशी जी का फाईनल था एल़ एल़. बी का ! तभी परीक्षा के कुछ दिन पूर्व बाबा जी लखनऊ आ गये !सदा की भाँति नन्दा जी बाबा जी के साथ ३-४ दिन रात घुमते रहे ! हर वक्त वह बाबा जी के साथ रहे ! फिर बाबा जी अचानक ही उनके घर आ गये तो नन्दा जी बाबा के आगे रोने लगे !
दयानिधान ने पूछा तो बताया कि "" फाईनल परीक्षा है कुछ पढा नही है , डर रहा हूँ कही फेल न हो जाँऊ !""बाबा जी ने डाँट लगाई """ तब कयूँ हमारे पीछे भागता रहा ! "" नन्दा जी आँसु बहाते रहे! तब करूणानिधान बोले ,""" अच्छा ला कहाँ है तेरी किताबे ल? कलम भी लाना !""" नन्दालजी भागकर ८-१० मोटी पतली कानुन की अग्रेजी की किताबे बाबा जी के पास ले आये ! और एक पैन्सिल भी ! बाबा एक एक पुस्तक उठाकर पन्ने पलट पलट कर उसमे निशान लगाते रहे ! और बिना कुछ कहे चले गये !
कहना न होगा कि नन्द जी उन्ही प्रशनो को पढकर जो कि बाबा जी ने निशान किये थे , पेपर देने चले गये ! और वह प्रथम श्रेणी मे उतीर्ण हूये ! बाबा की लीला वही जाने !