नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: जब महाराज जी सर्दी से बीमार थे!
एक बार माँ महाराज जी के पास यह कहते हुए आईं, "महाराज जी, आओ स्नान कर लो।" "चले जाओ," उन्होंने जवाब दिया। "मैं नहीं चाहता। आओ, केके, हम वृंदावन जाएंगे!" महाराज जी लेटे हुए थे, सर्दी से बीमार थे। श्रीमती सोनी, जिन्होंने कभी उन्हें इस तरह बीमार पड़ा हुआ नहीं देखा था, ने उनके पैर रगड़े और कहा, "ओह, महाराज जी, आपके पैर कितने ठंडे हैं।"
"क्या वे हैं, माँ?" वह एक छोटे बच्चे की तरह थे। यह अमावस्या थी, जिसे देखना शुभ होता है। तो जैसे एक बच्चे के साथ होगा, उन्होंने कहा, "महाराज जी, दरवाजे पर आओ और अमावस्या को देखो और तुम बेहतर हो जाओगे।" "क्या मैं, माँ?" उन्होंने उनको बहला-फुसलाकर दरवाजे तक उनकी मदद की। "माँ, मुझे दिखाई नहीं दे रहा है।" "वहाँ है।"
"कहाँ, माँ?" अंत में: "ओह, मैं इसे देखता हूँ।" फिर उन्होंने कहा, "अब कल तुम सब ठीक हो जाओगे।" उन्होंने उनको बिस्तर पर वापस लाने में मदद की, और अगले दिन वह बेहतर था।