नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: जब दादा मुकर्जी ने महाराज जी का हनुमान स्वरूप देखा!
एक बार कैंची आश्रम परिसर में बाबा का दरबार लगा था !भक्तों में श्री शिव गोपाल तिवारी भी थे ! बाबा ने तिवारी जी से रामायण सुनाने को कहा ! तिवारी जी ने पुछा "कहाँ से पाठ आरम्भ किया जाये ?" बाबा भाव में कह बैठे, "वहाँ से सुनाओ, जहाँ से हमने विभिषण से कही थी”। इस प्रकार बाबा अपना परिचय दे बैठे !तिवारी जी ने जैसे ही ' सुनहु विभिषण प्रभु की रीति, करे सदा सेवक पर प्रीति' से पाठ आरम्भ किया कि बाबा भावावेष में आने लगे ! वे अपनी असलियत लोगो से छिपाना चाहते थे, इसलिये श्री सुधीर मुकर्जी, का हाथ अपने हाथ मे ले वहाँ से उठ कर चल दिये।
उनके एक ही हाथ का भार इतना बढ गया कि मुकर्जी दादा उसे सहन नही कर पा रहे थे ! उन्हे भय होने लगा कि वह स्वंय गिर जाएँगे और साथ बाबा को भी गिरा देंगे, लेकिन वह लाचारी में चुप रहे। शिव मन्दिर के द्वार पर पहुचने पर बाबा अपने दोनो हाथों को भूमि पर टेकते हुये घुटनो और पैर के पंजो के बल बैठ गये, पर मुकर्जी दादा का हाथ नही छोडा ! उनके हाथ में रक्त का संचार होना भी कम हो गया। धीरे धीरे बाबा की आकृति बदलने लगी। उनका मुँह लाल होने लगा और सम्पुर्ण देह में भुरे-भुरे बाल खडे होने लगे !
मुकर्जी दादा अत्याधिक भयभीत हो गये और बडे प्रयत्न से अपना हाथ छुडा कर जंगल की और भाग गये। बाबा हनुमान जी के रूप में आ चुके थे, वे भी कैंची से भाग कर ! कैंची मे सर्वत्र उनकी खोज होती रही, पर उनका कहीं पता नही चला। बाबा का हनुमान रूप देख कर मुकर्जी दादा कई घण्टे अचेत पडे रहे। जब वह लौट कर आये तो लोगो ने उनसे कई प्रशन किए पर उनके पास कोई उत्तर ना था होस मे आने पर उन्होने सब को बताया बाबा का हनुमान रूप देखा !