नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ : जब मैनपुरी के एक भक्त की दुर्घटना के बाद पुकार सुन प्रकट हुए महाराज जी
श्रीमती शान्ति देवी (मैनपुरी) की कन्या अपने भाई, राजू के साथ ३० सितम्बर १९८७ को बस द्वारा मैनपुरी से मेरठ जा रही थी। एटा के पास बस दुर्घटना में अन्य हताहतों में राजू भी था जिसके सिर, मुँह तथा हाथों में भीषण चोटें आ गईं। हर जगह मल्टिपुल फ्रेक्चर (हड्डियों का कई टुकड़ों में टूट जाना) आ गया। लड़का बेहोश हो चुका था। बुरी तरह रक्त स्त्राव हो चुका था।
भाई को इस स्थिति में देख तथा अपने को नितान्त असहाय पाकर बहिन सुमन के पास रोने के अलावा एक ही चारा रह गया था आर्त होकर महाराज जी को कातर स्वर में पुकारना, “कहाँ हो बाबा ! आप तो सदा हमारी विपत्ति में रक्षा करते थे, पुकारते ही आ जाते थे। रक्षा करो ।” और तभी, केवल धोती पहिने महाराज जी वहाँ स्वयं प्रगट हो गये और सुमन से बोले, “रोती क्यों है मैं तो यहीं हूँ । चुप हो जा। अभी सब इंतज़ाम हुआ जाता है ।”
ऐसा कह वे स्वयँ तो अन्तर्ध्यान हो गये परन्तु उसके पूर्व मैनपुरी जाती (अन्य सभी गाड़ियों को छोड़कर) सुमन के पिता के ही विभाग के एक असिटेन्ट इंजीनियर की जीप को रोककर, तथा इंजीनियर को समझाकर (कि यह वीरेन्द्र वर्मा का पुत्र है) भाई-बहन को मैनपुरी उनके घर पहुँचाने की व्यवस्था कर गये साथ में इलाज के लिये ३५००) रु० की भी व्यवस्था कर गये !! उसके बाद तो राजू का इलाज भली भाँति हो गया ।
एक असहाय महिला के, ऐसी विकट परिस्थिति में गजेन्द्र की तरह के करुण क्रन्दन ने बाबा जी महाराज को स्वयं प्रगट होने को विवश कर दिया ।
-- केहर सिंह