नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: आँटे के उन छह बोरियों का कैंची में उतरना और फिर भी पूरी होना!!!
मुकेश कुमार अग्रवाल, पुत्र श्री भवानी शंकर, ट्रक में आटे के बोरे लेकर अल्मोड़ा में जिला पूर्ति अधिकारी को अनुबन्ध के अनुसार आटे की पूर्ति करने जा रहे थे । महाराज जी का यह भक्त जब कैंची पहुँचा तो दर्शन हेतु वहाँ उतर गया । प्रणाम के बाद बाबा जी ने उससे पूछा, “कहाँ जा रहा है ।” “महाराज, पिता जी ने जिला पूर्ति अधिकारी के लिये आटे के बोरे भेजे हैं, वहीं लिये जा रहा हूँ ।” “छह बोरी आटा हमें दे जा”, बाबा जी बोले ।
क्षण भर सोचने के बाद मुकेश जी कह उठे, “अच्छा महाराज ।” और छः बोरी आटा उतर गया ट्रक से कैंची आश्रम में प्रसाद पाकर मुकेश जी अल्मोड़ा चल दिये । मार्ग में सोचते रहे चालान में जो संख्या लिखी है बोरों की उसमें तो अब छः कम हो गई । क्या होगा ? पिता जी से क्या कहूँगा ? चलो, महाराज जी ही सम्भालेंगे।
अल्मोड़ा पहुँचकर कुछ चुस्ती-सी आ गई उन्हें उक्त विचारों के प्रभाव से । अतएव मुनीम को सामान सौंपने की हिदायत देते हुये कहा कि, "रसीद ठीक से ले लेना ।” और स्वयं चल दिये कहीं और ।
और जब पुनः मुनीम जी मिले, पूछा सब ठीक था ? तो मुनीम जी ने “जी, हाँ” कहकर चालान-रसीद बढ़ा दी उनकी ओर । मुकेश जी ने देखा जितनी संख्या बोरों की लिखी थी चालान में, उतनी की ही सप्लाई आफिस की भी रसीद थी !! मुकेश जी के विश्वास की परीक्षा भी हो गई और बाबा जी का कौतुक भी हो गया भक्त के विश्वास की रक्षा हेतु । (दिनेश त्रिपाठी)