नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: जब भक्त ने कष्ट के समय महाराज जी को लिखी हनुमान जी के नाम चिट्ठी!
वर्ष १९६२ के मध्य नागालैण्ड के एक प्रतिष्ठित व्यापारी, श्री सीता राम जी की बहू के एक रिश्तेदार के लड़के का अपहरण हो गया । घर में कोहराम मच गया। आस पास के जिलों और प्रान्तों में पुलिस एवं खुफिया विभाग द्वारा खोजबीन का कोई नतीजा न निकल सका । पाँच दिन हो गये। सीता राम जी भी लड़के के माता-पिता के पास गये। उनकी दशा देखकर सीता राम जी का हृदय बहुत दुःखी हो गया ।
तभी उनके मुँह से निकल पड़ा लखनऊ में बाबा नीब करौरी जी द्वारा एक हनुमान मंदिर स्थापित है जहाँ के लिये बाबा जी ने व्यवस्था कर रखी है कि जो भी दुःख-भरा या जन-साधारण की समस्याओं के निराकरण हेतु पत्र उनके नाम से या हनुमान जी के नाम से आये, उसे पुजारी द्वारा रात को शयन से पूर्व हनुमान जी को सुनाया जाये ऐसा करने पर हनुमान जी प्रार्थी का संकट दूर कर देते हैं।
तुम भी एक पत्र भेज दो बाबा जी को हनुमान जी के नाम लखनऊ को !! अगर लड़का अब भी जीवित है तो शीघ्र आ जायेगा !! मरता क्या न करता - घर वालों ने शीघ्र ही एक पत्र लखनऊ को स्पेशल कूरियर के हाथ भिजवा दिया हनुमान जी को अपनी विपदा बताते हुए ।
यहाँ यह कह देना अप्रासंगिक न होगा कि सीता राम जी ने बाबा महाराज के प्रत्यक्ष दर्शन किये ही न थे कभी। उनकी धार्मिक आस्था से ही प्रसन्न हो बाबा जी ने उन्हें श्री सिद्धी माँ का एवं अपना प्रेमी बना लिया था । कहने को तो वे उक्त बात अपने सम्बन्धियों से कह गये थे पर मन ही मन, आशंका के कारण वे महाराज जी से कहते रहे कि, "बाबा, अब मेरी लाज आपके ही हाथ है ।” और महाराज जी ने उनकी लाज रख ली लड़का ४-५ दिन में ही सकुशल घर पहुँच गया !! अपने भक्त की आस्था, उसके विश्वास पर चोट कैसे पहुँचने देते सरकार ?
उक्त घटना श्री सीता राम जी ने श्री माँ को वीरापुरम (मद्रास) में स्वयं सुनाई ।