नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: महाराज जी के बताए प्रश्नों को पढ़ भक्त हुआ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण
उक्त सन्दर्भ में महाराज जी के एक पुराने भगत श्री नन्दाबल्लभ जोशी की ऐसी ही दुर्दशा की याद आ गई । जोशी जी का एल०एल०बी० (फाइनल) था लखनऊ यूनिवर्सिटी में तभी, परीक्षा के कुछ । पूर्व, महाराज जी लखनऊ आ गये। सदा की भाँति नन्दाबल्लभ जी महाराज जी के साथ ही ५-६ दिन तक सुबह-शाम, रात-दिन लगे रहे।
और जब महाराज जी (बिना बुलाये स्वयं ही) उनके भी घर गये तो वे रोने लगे। दयानिधान ने पूछा तो बताया कि फाइनल परीक्षा है, कुछ पढ़ा नहीं है। बाबा जी ने डाँट लगाई, “तब क्यों हमारे पीछे भागता रहा ? पढ़ा क्यों नहीं ?” क्या उत्तर देते नन्दाबल्लभ ? केवल आँसू बहाते रहे।
तब करुणानिधान ने कहा, “अच्छा ला, कहाँ है तेरी किताबें ? कलम भी लाना।” नन्दाबल्लभ ८-१० अंग्रेजी में लिखी कानून की मोटी पतली पुस्तकें ले आये एक लाल-नीली पेंन्सिल के साथ । महाराज जी एक एक पुस्तक उठाकर पन्ने पलट कर पेंसिल से उन पर निशान लगाते रहे।
और बिना कुछ कहे चले गये। कहना न होगा कि नन्दाबल्लभ जी केवल उन्हीं उन्हीं निशान वाले विषयों-प्रश्नों को पढ़कर ही प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गये !! (श्री केहर सिंह जी ने उनके सामने हुई यह लीला मुझे कैंचीधाम में सुनाई युगलचरणाश्रित ।)