मेरे बाबा कहते हैं…जिसने भी भक्ति, सिमरन, सेवा में अपने को समर्पित कर दिया वो ईश्वर की नज़र में सदा रहता है!!
जिसने भी मालिक की भक्ति, सिमरन, सत्संग और सेवा में अपने को समर्पित कर दिया है वो किसी भी परिस्थिति में हो कभी भी इनसे विमुख नहीं होता है । महाभारत का युद्ध होना जब निश्चित ही हो गया तो पार्थ से माधव ने कहा चलो हमें उस वानर को युद्ध में सहायता के लिए आग्रह करना है। अर्जुन ने कहा हम तो नर हैं वानर की क्या जरूरत ? तो केशव ने कहा "हूं तो मैं भी नारायण किंतु उसने ही मेरे रामावतार में मेरी सबसे अधिक सहायता की है ।"
हनुमान जी से जब युद्ध में सहायता के लिए कहा गया तो वे बोले मेरा वहां क्या काम ? मेरे प्रभु तो युद्ध में भी उपदेश दिया करते थे । तब श्री कृष्ण ने कहा चलो इसका भी प्रबंध हो जाएगा । हनुमान रथ पर ध्वजा पर विराजमान हो गए और महाभारत युद्ध प्रारंभ हो , इससे पहले ही कन्हैया ने गीता का उपदेश सुनाया । क्या अब भी आपको नहीं लगता कि ये गीता का ज्ञान तो सिर्फ बजरंग बली को ही सुना कर अपना वचन निभाया था प्रभु ने । अपने भक्त के भाव को तो मालिक ही समझते हैं दूसरा कोई तो समझ ही नहीं सकता ।
सदा ही जपते रहिए " ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ।।"
श्री साईं सबका सदा ही कल्याण करें।।
— उमा शंकर गुरु जी/बाराबंकी