हनुमान जी के जीवन के तीन प्रसंग, आज मंगलवार को पढ़ें ज़रूर
क्यों नहीं करना चाहिए महिलाओं को हनुमान जी की पूजा
हनुमान जी सदा ब्रह्मचारी रहें। शास्त्रों में हनुमान जी की शादी होने का वर्णन मिलता है। लेकिन ये शादी भी हनुमान जी ने वैवाहिक सुख प्राप्त करने की इच्छा से नहीं की। बल्कि उन 4 प्रमुख विद्याओं की प्राप्ति के लिए की थी। जिन विद्याओं का ज्ञान केवल एक विवाहित को ही दिया जा सकता था।
इस कथा के अनुसार हनुमान जी ने सूर्य देवता को अपना गुरु बनाया था। सूर्य देवता ने नौ प्रमुख विद्याओं में से पांच विद्या अपने शिष्य हनुमान को सिखा दी थी। लेकिन जैसे ही बाकी चार विद्याओं को सिखाने की बारी आई। तब सूर्य देव ने हनुमान जी से शादी कर लेने के लिए कहा क्योंकि ये विद्याओं का ज्ञान केवल एक विवाहित को ही दिया जा सकता था। अपने गुरु की आज्ञा से हनुमान ने विवाह करने का निश्चय कर लिया। हनुमान जी से विवाह के लिए किस कन्या का चयन किया जाए, जब यह समस्या सामने आई।
तब सूर्य देव ने अपनी परम तेजस्वी पुत्री सुवर्चला से हनुमान को शादी करने की प्रस्ताव दिया। हनुमान जी और सुवर्चला की शादी हो गई। सुवर्चला परम तपस्वी थी। शादी होने के बाद सुवर्चला तपस्या में मग्न हो गई। उधर हनुमान जी अपनी बाकी चार विद्याओं के ज्ञान को हासिल करने में लग गए। इस प्रकार विवाहित होने के बाद भी हनुमान जी का ब्रह्मचर्य व्रत नहीं टूटा।
हनुमान ने प्रत्येक स्त्री को मां समान दर्जा दिया है। यही कारण है कि किसी भी स्त्री को अपने सामने प्रणाम करते हुए नहीं देख सकते बल्कि स्त्री शक्ति को वो स्वयं नमन करते हैं। यदि महिलाएं चाहे तो हनुमान जी की सेवा में दीप अर्पित कर सकती हैं। हनुमान जी की स्तुति कर सकती हैं। हनुमान जी को प्रसाद अर्पित कर सकती हैं। लेकिन 16 उपचारों जिनमें मुख्य स्नान, वस्त्र, चोला चढ़ाना आते हैं, ये सब सेवाएं किसी महिला के द्वारा किया जाना हनुमान जी स्वीकार नहीं करते हैं।
श्री हनुमान क्यों हुए सिंदूरी
शास्त्रों में इस विषय में जानकारी दी गई है कि जब रावण को मारकर राम जी सीता जी को लेकर अयोध्या आए थे। तब हनुमान जी ने भी भगवान राम और माता सीता के साथ आने की जिद की। राम ने उन्हें बहुत रोका। लेकिन हनुमान जी थे कि अपने जीवन को श्री राम की सेवा करके ही बिताना चाहते थे। श्री हनुमान दिन-रात यही प्रयास करते थे कि कैसे श्री राम को खुश रखा जाए।
एक बार उन्होंनें माता सीता को मांग में सिंदूर भरते हुए देखा। तो माता सीता से इसका कारण पूछ लिया। माता सीता ने उनसे कहा कि वह प्रभु राम को प्रसन्न रखने के लिए सिंदूर लगाती हैं। हनुमान जी को श्री राम को प्रसन्न करने की ये युक्ति बहुत भा गई। उन्होंने सिंदूर का एक बड़ा बक्सा लिया और स्वयं के ऊपर उड़ेल लिया। और श्री राम के सामने पहुंच गए।
तब श्री राम उनको इस तरह से देखकर आश्चर्य में पड़ गए। उन्होंने हनुमान से इसका कारण पूछा। हनुमान जी ने श्री राम से कहा कि प्रभु मैंने आपकी प्रसन्नता के लिए ये किया है। सिंदूर लगाने के कारण ही आप माता सीता से बहुत प्रसन्न रहते हो। अब आप मुझसे भी उतने ही प्रसन्न रहना। तब श्री राम को अपने भोले-भाले भक्त हनुमान की युक्ति पर बहुत हंसी आई। और सचमुच हनुमान के लिए श्री राम के मन में जगह और गहरी हो गई।
बाल हनुमान ने ऐसा क्या किया कि उनका नाम हनुमान रख दिया गया
हनुमान माता अंजनी और केसरी के पुत्र थे। पवनदेव के आर्शीर्वाद से हनुमान का जन्म हुआ था। हनुमान जन्म से ही बहुत अधिक ताकतवर और विशाल शरीर वाले थे। हनुमान के बचपन का नाम मारुति था। एक बार मारुति ने सूर्यदेवता को देखकर फल समझ लिया। और तेजी से सूर्यदेवता की और पहुंचकर उन्हें निगलने की कोशिश में अपना मुंह बड़ा कर लिया।
इंद्र देव ने मारुति को ऐसा करता देखा तो अपना वज्र उन पर छोड़ दिया। वज्र जाकर मारुति की हनु यानी कि ठोड़ी पर लगा। वज्र लगते ही नन्हें मारुति बेहोश हो गए। यह देख उनके पालक पिता पवनदेव को गुस्सा आ गया। जिससे उन्होंने सारे संसार में पवन का बहना रोक दिया। जीवन पानी बिना भी कुछ समय तक रह सकता है लेकिन प्राण वायु बिना तो एक क्षण नहीं। इसलिए इंद्र ने पवनदेव को तुरंत मनाया। इसके बाद नन्हें मारुति को सभी देवताओं ने अपनी ओर से शक्तियां प्रदान की। सूर्यदेवता के तेज अंश प्रदान करने के कारण ही हनुमान बुद्धि संपन्न हुए। वज्र मारुति के हनु पर लगा था जिसके कारण ही उनका नाम हनुमान हुआ।
!! जय श्री राम !!
- मनीष मेहरोत्रा/बाराबंकी
(जानकारी साझा करने वाले गूढ़ रहस्यों व जानकारियों से भरपूर धार्मिक पुस्तकें लिखने के लिए जाने जाते हैं। इस लेख में प्रस्तुत की गयी जानकरियाँ उनके निजी जानकारियों पर आधारित हैं)