पच्चीस साल पुराना अटल जी का मेरे द्वारा लिया हुआ वो साक्षात्कार जो अब भी मन में तरो ताज़ा है!

पच्चीस साल पुराना अटल जी का मेरे द्वारा लिया हुआ वो साक्षात्कार जो अब भी मन में तरो ताज़ा है!

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छात्र जीवन से ही अटल बिहारी बाजपाई के भाषण सुनने जाते थे। हमने उनके भाषण लखनऊ यूनिवर्सिटी के मालवीय हाल, बेगम हजरत महल पार्क या चौक में सुने । उनके भाषण देने के अंदाज में मैं एक अनोखा आकर्षण था। अटल जी भाषण है तो सुनना है। इतने साल की पत्रकारिता में मैं उनके भाषण भी सुने और प्रेस कांफ्रेंस भी भी खूब गए।

लेकिन 1996 मैं अटल जी का इंटरव्यू जो हमने ब्लिट्ज के लिया स्टेट हाउस में वो माहौल आज भी दिमाग में ताजा है। जिस ज़माने में हम ब्लिट्ज के लखनऊ ब्यूरो चीफ थे तो हमारा अखबार बीजेपी और संघ और संघ परिवार का सबसे बड़ा आलोचक था।

जब 1996 का लोक सभा का चुनाव हो रहा था तो अटल जी लखनऊ से चुनाव लड़ रहे थे। जब उनके चुनाव प्रचार का आखिरी दिन था उससे एक दिन पहले राजेश पांडे, पूर्व बीजेपी एमपी, उनका मीडिया का काम देख रहे थे, से हमने अटल जी का इंटरव्यू लेने की इच्छा व्यक्त की। मुझे लगा पता नहीं अतुल जी का इंटरव्यू मिले या नहीं।

देर रात को राजेश पांडे जी का फ़ोन आया की अटल जी आपको इंटरव्यू देने के लिए हामी भर दी है। और सुबह 10 बजे स्टेट गेस्ट हाउस पहुंचना है। हम खुश हो गए की अटल जी ने इंटरव्यू देने का मन बना लिया। दूसरे दिन सुबह 10 बजे जब राजेश पांडे जी के साथ स्टेट गेस्ट हाउस में अटल जी के कमरे दाखिल हुए तो चारों तरफ बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता और दिल्ली से आए हुए सलाहकार भी मौजूद थे।

जब राजेश पांडे जी ने हमारा परिचय कराने के जैसे कहा तो अटल जी जोर से हंसे और अपने चिर परिचित अंदाज में बोले की ब्लिट्ज से जुड़े कपूर परिवार को कौन नहीं जानता, लखनऊ में एक संजय कपूर दिल्ली में और पिता बिशन कपूर जो अब नहीं हैं। फिर अटल जी ने कुछ हाथ घुमाते हुए कहा कि कपूर परिवार से बस एक ही शिकायत रही की खूब खिलाफ लिखा। तब हमने कहा कि जो भी लिखा गया तथ्यों पर आधारित था।

तभी किसी ने कहा की इस बार के ब्लिट्ज मैं फ्रंट पेज पेज इनकी और संजय की स्टोरी है जिसकी हेडलाइन है एडवांटेज बीजेपी। यह सुनकर अटल जी ने जोरदार ठहाका लगाया और कहा की जब ब्लिट्ज यह लिख रहा है तो दिल्ली में सरकार बना रहे हैं।

जब इंटरव्यू का वक्त आया तो अटल जी ने पूरा कमरा खाली कराया जिससे कुछ नेताओं को नागवार भी गुजरा। लेकिन अटल जी ने मेरे सारे सवालों के जवाब दिए। और बाद मैं कहा की जितना पूछना है पूछ लें ताकि बाहर जाकर यह न कहें की कुछ रह गया। अटल से बात कर जो आनंद आया वो आज भी सुखद अनुभूति देता है। बाहर निकर कल हमने संपादक आर के करंजिया को संदेश भेजा की अटल जी का इंटरव्यू मिल गया। यह सुनकर वो भी खुश हो गए।

हमारा इंटरव्यू ब्लिट्ज की सभी भाषाओं में फ्रंट पेज पर छापा ।अंग्रेजी ब्लिट्ज की हेडलाइन थी द मैन हु विल बिकम किंग। आपको याद होगा अटल जी तब प्रधान मंत्री बने थे लेकिन सरकार कुछ ही दिन चल पाई थी । और अटल जी को इस्तीफा देना पड़ा था। लेकिन आज लगभग 25 साल बाद भी अटल जी से वो मुलाकात आज भी ताजा है जैसे कल की घटना हो।

-- प्रदीप कपूर

(लेखक उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं, लखनऊ पर शायद उनकी जैसी दुर्लभ व रोचक जानकारी किसी और के ही पास होगी)

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