रावण की ससुराल में आसान नहीं अरुण गोविल की चुनावी लड़ाई!

रावण की ससुराल में आसान नहीं अरुण गोविल की चुनावी लड़ाई!

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लखनऊ, अप्रैल 2 (TNA) महाभारत के समय भारत की राजनीति का केंद्र रहा हस्तिनापुर आज मेरठ के नाम से जाना जाता है. वेस्ट यूपी की राजधानी के तौर पर मेरठ की अपनी पहचान है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस प्रदेश को अपने लिए शुभ मानते हैं. रविवार को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार मेरठ अपने चुनावी अभियान की शुरुआत करने की वजह बताते हुए कहा कि यहां से शुरुआत उनके लिए वर्ष 2014 और वर्ष 2019 में शुभ रही.

यहीं नहीं उक्त दो वर्षों में इस सीट से चुनाव लड़ने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राजेंद्र अग्रवाल भी चुनाव जीते. इस बार उनके स्थान पर नब्बे के दशक में रामायण सीरियल में भगवान राम बनने वाले अभिनेता अरुण गोविल को भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा है.

आसान नहीं अरुण की राह :

अब दो पवित्र नदियों गंगा और यमुना के बीच बसे मेरठ शहर की संसदीय सीट पर अभिनेता अरुण गोविल का चुनाव संघर्ष समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार भानु प्रताप सिंह और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के देवव्रत त्यागी से होना है. बीते लोकसभा चुनाव में सपा का साथ पाकर बसपा के हाजी याकूब कुरैशी ने राजेंद्र अग्रवाल को यहां कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन 4,729 वोटों से वह चुनाव हार गए थे.

बहुत ही कम वोटों से चुनाव जीतने की वजह से राजेंद्र अग्रवाल का टिकट भाजपा ने काट दिया. अब भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि नब्बे के दशक में घर-घर प्रभु की तरह पूजे गए भगवान राम का रोल करने वाले अरुण गोविल को रावण की ससुराल की जनता चुनाव जिता देगी. वही दूसरी तरह सपा और बसपा के नेताओं का कथन इस दावे के विपरीत है.

सपा और बसपा नेताओं का कहना है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दूसरा बड़ा शहर होने के बावजूद क्रांति नगरी मेरठ को अब तक विकास के पंख नहीं लग सके हैं. भाजपा की सरकार ने बीते दस वर्षों में मेरठ को शिक्षा का हब बनाने की दिशा में कुछ खास नहीं किया.

यहीं नहीं स्पोर्ट्स गुड्स में अंतरराष्ट्रीय पहचान रखने वाला मेरठ अब म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स, कैंची और हैंडलूम इंडस्ट्री के क्षेत्र में दशकों से बनी धाक खोता जा रहा है. इस इलाके में शुगर इंडस्ट्री और किसान दोनों ही बदहाली के दौर में हैं. जिसके लेकर ही सपा और बसपा के नेता अरुण गोविल को घेरेंगे. जाहिर है वोट देते समय मेरठ के लोग इस बारे में सोचेंगे, सवाल करेंगे. तो कभी भगवान राम का अभिनय करने वाले अरुण गोविल के सामने कड़ी चुनौती खड़ी हुई दिखाई देगी.

मेरठ सीट का जातीय समीकरण :

फिलहाल आज अरुण गोविल ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. इस दौरान सूबे के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी साथ थे और इसके बाद अरुण गोविल का चुनाव प्रचार तेजी पकड़ेगा। मेरठ में दूसरे चरण में मतदान होना है. इस संसदीय सीट पर दलित और मुस्लिम बाहुल्य वोटर्स का वर्चस्व है. यहां पर मुस्लिम आबादी करीब 5 लाख 64 हजार है. जबकि जाटव बिरादरी करीब 3 लाख 14 हजार 788 है. बाल्मीकि समाज 59,000 और जाट समाज की आबादी करीब डेढ़ लाख है. यहां ब्राह्मण, वैश्य और त्यागी समाज के वोटर्स की अच्छी खासी संख्या है. गुर्जर और सैनी समाज के वोटर्स का भी खासा प्रभाव दिखता रहा है.

— राजेंद्र कुमार 

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