यूपी के चमड़ा उत्पादों का निर्यात घटा, ब्रिटेन और कनाडा में लेदर उत्पाद की मांग घटी

यूपी के चमड़ा उत्पादों का निर्यात घटा, ब्रिटेन और कनाडा में लेदर उत्पाद की मांग घटी

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लखनऊ, अक्टूबर 10 (TNA) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को भदोही में कार्पेट एक्सपो मार्ट में चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कालीन मेला के 45 वें संस्करण का शुभारंभ किया. इस अवसर पर उन्होने दावा किया कि यूपी के तीन जिले भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी में बने कालीन ही विदेश में सबसे अधिक निर्यात हो रहे हैं. उनके इस दावे के कुछ घंटे बाद ही चर्म निर्यात परिषद की पहली तिमाही रिपोर्ट में जारी हुई.

इस रिपोर्ट में यूपी में बने चमड़ा उत्पादों की अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया, नीदरलैंड सहित कई अन्य देशों में मांग घटाने की जानकारी दी गई. इस रिपोर्ट के अनुसार उक्त देशों ने यूपी में बने महंगे लेदर उत्पादों से दूरी बना ली है.

कानपुर-उन्नाव क्लस्टर को नुकसान

यह हाल भी तब है जब योगी सरकार यूपी को वन ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए निर्यात कारोबार को बढ़ावा देने में जुटी है. इसके बाद भी लेदर फुटवियर, सैडलरी (घोड़ों की काठी) सहित लेदर से बने अन्य उत्पादों का निर्यात बहुत गिर गया है. रिपोर्ट के अनुसार लेदर फुटवियर में 11 प्रतिशत, सैडलरी में 29 प्रतिशत और लेदर से बने अन्य उत्पादों में नौ प्रतिशत निर्यात घट गया है.

चर्म निर्यात परिषद के वाइस चेयरमैन आरके जालान लेटर के निर्यात में हो रही गिरावट को लेकर कारोबार के लिए चिंताजनक मान रहे हैं. जालान के अनुसार, सैडलरी, लेदर फुटवियर, लेदर उत्पाद और नान लेदर उत्पाद सभी के निर्यात में लगातार गिरावट हो रही है. जालान इसकी इसकी दो वजह बता रहे हैं. पहली वजह वह यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़े दुष्प्रभाव मान रहे है.

लेदर से बने उत्पादों का निर्यात घटने से यूपी के प्रमुख शहर कानपुर और उन्नाव क्लस्टर को बड़ा झटका लगा है. इसकी वजह है, सैडलरी का निर्यात गिरना. सैडलरी सिर्फ कानपुर-उन्नाव क्लस्टर में ही बनती है. हर साल करीब 1500 करोड़ रुपए का निर्यात होता है. दुनिया भर में सिर्फ पांच जगह ही सैडलरी का निर्माण होता है. देश में सिर्फ कानपुर-उन्नाव के क्लस्टर में इसे बनाया जाता है. इस क्लस्टर द्वारा तैयार सैडलरी को दुनिया भर में बेस्ट माना जाता है.

घुड़सवारी के शौकीन देश ब्रिटेन, नीदरलैंड, चिली और अमेरिका में इसका बहुत मांग है. बीते साल जून में सैडलरी के निर्यात का आंकड़ा 508.42 करोड़ रुपए का था, जो इस घट कर 359.90 करोड़ रुपए रह गया है. यह गिरावट और भी हो सकती थी, लेकिन यूएई, सऊदी अरब, पोलैंड, मलेशिया और मैक्सिको जैसे देशों से सैडलरी के ऑर्डर ने इसे संभाल लिया.

चर्म निर्यात परिषद के वाइस चेयरमैन आरके जालान लेटर के निर्यात में हो रही गिरावट को लेकर कारोबार के लिए चिंताजनक मान रहे हैं. जालान के अनुसार, सैडलरी, लेदर फुटवियर, लेदर उत्पाद और नान लेदर उत्पाद सभी के निर्यात में लगातार गिरावट हो रही है. जालान इसकी इसकी दो वजह बता रहे हैं. पहली वजह वह यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़े दुष्प्रभाव मान रहे है.

जबकि दूसरी वजह वह सरकार के स्तर से लेदर इंडस्ट्री को बढ़वा देने को लेकर बरती जा रही उदासीनता को मानते हैं. जालान का कहना है कि लेदर सेक्टर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शीर्ष प्राथमिकताओं वाले दस सेक्टर में शामिल है. इसके बाद भी इस सेक्टर पर ध्यान कम दिया जा रहा है. जालान को उम्मीद है कि सूबे के अफसर इस सेक्टर की दिक्कतों को समझते हुए लेदर उत्पाद के निर्यात पर ध्यान देंगे और जल्दी ही निर्यात में हो रही गिरावट को रोका जा सकेगा.

— राजेंद्र कुमार

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