यूपी में बिजली 20-30 फीसदी तक मंहगी करने की तैयारी
लखनऊ, जून 12 (TNA) लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को मंहगाई का एक और तगड़ा झटका लगने जा रहा है। बिजली कंपनियां बिजली की दरों में 20-30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की तैयारी में जुटी हैं। हालांकि, अभी बिजली कंपनियों ने राज्य विद्युत नियामक आयोग को बिजली दर (टैरिफ) का प्रस्ताव नहीं सौंपा है लेकिन पिछले साल नवंबर में 2024-25 के लिए दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआऱ) प्रस्ताव में 11 हजार करोड़ रुपये के राजस्व घाटे की भरपाई के दरें बढ़ाकर करने का संकेत जरूर दिया है।
आयोग ने एआरआर स्वीकार करते हुए दरों के निर्धारण के संबंध में आगे की कार्यवाही शुरू कर दी है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बिजली कंपनियों ने अपनी तरफ से दरें बढ़ाने की किसी तरह की पहल से बचते हुए यह मामला आयोग पर छोड़ दिया था लेकिन अब एआरआर पर जनसुनवाई से पहले आयोग ने बिजली कंपनियों से श्रेणीवार टैरिफ प्रस्ताव मांगा है। टैरिफ प्रस्ताव दाखिल होने के बाद नियामक आयोग जनसुनवाई शुरू करेगा।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बिजली कंपनियों की ओर से दाखिल एआरआर औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है। अब बिजली कंपनियों को टैरिफ प्रस्ताव दाखिल करके बताना है कि किस श्रेणी की बिजली दरों में कितना बढ़ोतरी चाहती हैं। इसके बाद टैरिफ प्रस्ताव का सार्वजनिक प्रकाशन कराया जाएगा और फिर इस पर स्टेकहोल्डर्स (हितधारकों) का पक्ष जानने के लिए आयोग जनसुनवाई शुरू करेगा। जनसुनवाई के बाद आयोग दरों का निर्धारण करके टैरिफ आर्डर जारी करेगा।
यह सारी कवायद पूरी होने में अभी कम से कम दो-तीन माह का समय लगने की संभावना है। भरोसेमंद सूत्रों की मानें तो आयोग सारी औपचारिकताएं पूरी करके नई बिजली दरों का ऐलान अगस्त के अंतिम सप्ताह तक कर सकता है। सितंबर से नई दरें प्रभावी हो सकती हैं। वैसे कानूनन एआरआर दाखिल होने के बाद 120 दिन के भीतर नई दरों का निर्धारण हो जाना चाहिए लेकिन चुनाव के चलते इस बार देरी हो गई है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि दरों में बढ़ोतरी नहीं बल्कि कमी होनी चाहिए। विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहा है इसलिए 11 हजार करोड़ से ज्यादा का राजस्व अंतर होने के बावजूद बिजली दरें नहीं बढ़ाई जा सकती हैं।
इस साल 1.45 लाख मिलियन यूनिट बिजली की खपत
बिजली कंपनियों ने 2024-25 के लिए एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का एआरआर प्रस्ताव दाखिल किया है। इसमें 13.06 प्रतिशत लाइन हानियां अनुमानित रखते हुए इस साल लगभग 1.45 लाख मिलियन यूनिट बिजली की आपूर्ति करने की बात कही गई है। एआरआर के अनुसार बिजली खरीद पर करीब 80 से 85 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है और मौजूदा दरों पर आपूर्ति किए जाने पर करीब 11 हजार करोड़ रुपये का राजस्व अंतर रहने का अनुमान है। पावर कॉरपोरेशन के सूत्रों का कहना है कि राजस्व अंतर की भरपाई के लिए बिजली की मौजूदा दरों में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि करनी होगी।
चुनाव को देखते हुए फिलहाल दरों का मामला आयोग पर छोड़ दिया गया था लेकिन अब आयोग ने टैरिफ प्रस्ताव मांग लिया है। टैरिफ प्रस्ताव तैयार कराने की कवायद शुरू हो गई है। उम्मीद है कि जल्द ही आयोग के समक्ष इसे दाखिल कर दिया जाएगा। चूंकि बीते चार वर्षों में उत्तर प्रदेश में बिजली की दरें यथावत हैं इसलिए माना जा रहा है कि भले ही बिजली कंपनियों की मंशा के अनुसार दरों में एकमुश्त 20-30 प्रतिशत की बढ़ोतरी न हो लेकिन 10-15 प्रतिशत की वृद्धि जरूर की जा सकती है।
बिजली कनेक्शन भी होगा महंगा
केवल बिजली दरें ही नहीं उत्तर प्रदेश में बिजली कनेक्शन लेने, नई लाइन बिछाने और नया ट्रांसफॉर्मर लगवाने के लिए भी ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ सकती है। पावर कॉरपोरेशन ने विभिन्न उपभोक्ता सामग्री की कीमतों में भी बढ़ोतरी के लिए प्रस्ताव दिया है। विभिन्न श्रेणियों में कनेक्शन के लिए जमानत (सिक्योरिटी) राशि भी बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया है। यह प्रस्ताव भी नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल कर दिया गया है। अगर आयोग इसे हरी झंडी दे देता है तो ग्रामीण इलाकों में बिजली कनेक्शन लेना करीब 44 फीसदी और उद्योगों के लिए कनेक्शन की दरों में 50 से 100 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इसके साथ ही ट्रांसफॉर्मर, मीटर, पोल की कीमतों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव भी दिया गया है। अलबत्ता थ्री फेज मीटर की दरों में 19 प्रतिशत की कमी प्रस्तावित की गई है।
उपभोक्ता परिषद ने की दरों में कमी की मांग
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि दरों में बढ़ोतरी नहीं बल्कि कमी होनी चाहिए। विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहा है इसलिए 11 हजार करोड़ से ज्यादा का राजस्व अंतर होने के बावजूद बिजली दरें नहीं बढ़ाई जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही वह ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा से मिलकर सारे तथ्य रखेंगे और उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए दरों में कमी कराने की मांग करेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी इसकी मांग की जाएगी। वर्मा का कहना है कि सरप्लस होने के कारण ही पिछले चार वर्षों से बिजली महंगी नहीं की जा सकी। उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर जितना सरप्लस पैसा है, उससे बिजली की दरें अगले पांच वर्ष तक नहीं बढ़ सकती हैं। उपभोक्ता परिषद ने कनेक्शन की दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर भी ऐतराज जताया है।