उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा उत्तर प्रदेश, वर्ष के अंत तक गोरखपुर समेत चार इकाईयां हो जाएंगी शुरू
कोरोना काल की तबाही के बीच कृषि क्षेत्र के लिए एक सुखद खबर है। मौजूदा वर्ष में गोरखपुर समेत देश के चार स्थानों पर निर्माणाधीन खाद के कारखानों में उत्पादन का कार्य शुरू हो जाएगा। ऐसे में अब तक विदेशों पर काफी हद तक रही हमारी निर्भरता समाप्त होने के साथ ही वर्ष 2021 में आत्मनिर्भरता का वर्ष होगा। जिसमें गोरखपुर खाद का कारखाना अपने निर्माण के अंतिम दौर में है और अक्टूबर माह में चालू हो जाने की उम्मीद है।
मौजूदा समय में प्रति वर्ष उर्वरक की मांग 320 लाख टन तक रहती है। जबकि उर्वरक का उत्पादन 240 लाख टन होता है।ऐसे में उर्वरक के लिए हमें विदेशों पर निर्भरता रखनी पड़ती है।चारों उर्वरक कारखाने में उत्पादन शुरु हो जाने पर जहां हम आत्मनिर्भर होंगे वहीं विदेशों में निर्यात करने की भी स्थिति में आ जाएंगे।
मनमोहन सरकार ने तैयार की थी रूपरेखा, मोदी सरकार ने धरातल पर कराया निर्माण
मनमोहन सिंह के नेतत्व में गठित यूपीए 1 की सरकार ने बंद पड़े खाद कारखानों को शुरू करने की दिशा में पहल शुरू की थी। 30 अक्टूबर 2008 को कैबिनेट की मीटिंग में भारतीय उर्वरक निगम के सभी पांच कारखानों और हिन्दुस्तान उर्वरक निगम लिमिटेड के तीन कारखानों के पुनरूद्धार योजना की स्वीकृति दी। यूपीए 2 सरकार ने 10 मई 2013 को भारतीय उवर्रक निगम के गोरखपुर सहित सभी पांच कारखानों को चलाने की दिशा में एक बड़ा निर्णय लिया।
सरकार ने इन कारखानों पर कर्ज और ब्याज के कुल 10,644 करोड़ रूपए माफ कर दिया। इससे गोरखपुर खाद कारखाना को बीआईएफरआर से बाहर निकालने में मदद मिली। इसके पहले केन्द्र सरकार ने 2 जनवरी 2013 को यूरिया के क्षेत्र में नए निवेश को बढ़ावा देने के लिए नई निवेश नीति 2012 को भी लागू किया। इसका उद्देश्य देश को यूरिया के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना था और इसके लिए जरूरी था कि बंद पड़े कारखानों को चलाया जाए।
गोरखपुर खाद कारखाने को चलाने के लिए जरूरी था कि इसको प्राकृतिक गैस की उपलब्धता हो. इसके लिए तथा देश के अन्य कारखानों तक प्राकृतिक गैस पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने जगदीशपुर-हल्दिया गैस पाइपलाइन बिछाने का भी ऐलान किया।.यूपीए-2 सरकार ने कारखाने को चलाने के लिए निजी क्षेत्र को आमंत्रित करने का निर्णय लिया था और इसके लिए टेंडर निकाला, लेकिन निजी क्षेत्र ने रुचि नहीं दिखाई। इसके बाद इस पर चर्चा होने लगी कि कारखाने को चलाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को जिम्मेदारी दी जाए।
वर्ष 2014 में सत्ता में आई मोदी सरकार ने भी बरौनी और गोरखपुर खाद कारखाने को चलाने के लिए ग्लोबल टेंडर के जरिये निजी क्षेत्र को आमंत्रित करने का निर्णय लिया। इसके लिए 27 अप्रैल 2015 को नीति आयोग की समिति गठित की गई। गोरखपुर खाद कारखाने के लिए 26 अगस्त 2015 को रिक्वेस्ट ऑफ क्वालिफिकेशन, 17 सितंबर 2015 को इन्टेस्ट ऑफ एक्सप्रेशन और 8 सितंबर 2015 को पूर्व बोली सम्मेलन आयोजित किया, लेकिन सिर्फ एक आवदेक के आने के कारण इसे रद्द करना पड़ा।
निजी क्षेत्र द्वारा अरुचि दिखाने पर मोदी सरकार ने निर्णय लिया कि सिंदरी, गोरखपुर और बरौनी यूरिया कारखाने को चलाने के लिए नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी), कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), इंडियन आयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), एफसीआई और एचएफसीएल की जॉइंट वेंचर कंपनी बनाई जाए और इसके जरिये नए खाद कारखाने स्थापित किए जाएं।
गोरखपुर कारखाने की वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी नींव
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विशेष प्रयासों से ढाई दशक से बंद खाद कारखाने की जगह नए कारखाने की नींव वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। बंद पड़े गोरखपुर खाद कारखाने को फिर से शुरू कराने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सांसद रहते हुए लंबे समय से सड़क से लेकर सदन तक आवाज उठाते रहे हैं। 2014 में लोकसभा चुनाव की रैली के दौरान मानबेला की जमीन से पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनी तो पुराने खाद कारखाने की ही जगह नया कारखाना बनाया जाएगा। सरकार बनने के साथ ही उन्होंने अपना वादा भी निभाया और कारखाने की नींव रखी।
खाद कारखाने का निर्माण करा रही हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के अधिकारियों के मुताबिक कारखाने का निर्माण पूरा करने में सितंबर से अक्टूबर तक का समय लग जाएगा। उनका कहना है कि कारखाने का निर्माण कार्य अंतिम चरण में था तभी कोरोना का संक्रमण तेज हो गया। संचालन के लिए अंतिम तौर पर ज्यादातर मशीनों और सिस्टम को जांच की जा चुकी है। कूलिंग टॉवर, ब्वॉयलर आदि की कमिशनिंग हो चुकी है।
पूर्व में खाद कारखाना पूरा करने का लक्ष्य पहले फरवरी 2021 रखा गया था मगर पिछले साल कोरोना की पहली लहर शुरू हो जाने से काम प्रभावित हो गया। चार मार्च 2021 को खाद कारखाने के निरीक्षण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ आए केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने घोषणा की थी कि जुलाई 2021 में कारखाना बनकर तैयार होने के साथ ही यहां उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। बाद में कारखाने के उद्घाटन के लिए 22 जुलाई की तारीख भी तय हो गई थी। मगर कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने की वजह से काम फिर प्रभावित हो गया। अब कोरोना खत्म हुआ तो मानसून ने दस्तक दे दी।
एचयूआरएल के वरिष्ठ प्रबंधक सुबोध दीक्षित ने बताया कि ज्यादातर मशीनों और सिस्टम की प्री-कमिशनिंग और कमिशनिंग हो चुकी है मगर अभी भी बैगिंग बिल्डिंग, डीएम प्लांट और एसटीपी व ईटीपी का काम बाकी है। इसे पूरा होने में करीब तीन से चार महीने का समय लग सकता है। ऐसे में अक्टूबर में उत्पादन कार्य शुरू हो जाने की उम्मीद है।
दिसंबर तक पूरा हो जाएगा झारखंड के सिंदरी स्थित ऊर्वरक संयंत्र का काम
केंद्र सरकार के पहल पर शुरू हुए झारखंड के सिंदरी खाद कारखाने का निर्माण इसी साल दिसंबर में पूरा होने के साथ उत्पादन भी शुरू कर देगा। सिंदरी खाद कारखाने में उत्पादन शुरू होने से 1,500 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। देश का पहला उर्वरक प्लांट सिंदरी में ही खुला था, जो देश में हरित क्रांति की ओर पहला कदम था। इस कारखाने की शुरुआत की नींव 1930 के दशक में बंगाल में अकाल से पड़ी थी। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सिंदरी में खाद संयंत्र की शुरुआत कर देश में हरित क्रांति की नींव डाली थी। इसके बाद 2 मार्च 1951 को इसमें उत्पादन शुरू हो गया।
बिहार के बरौनी में वर्ष के अंत तक खाद का उत्पादन शुरू होने की उम्मीद
देश के विभिन्न हिस्सों में चल रहे उर्वरक कारखानों के निर्माण के क्रम में बिहार के बरौनी में निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और करीब 85 फीसदी काम पूरा हो चुका है।ऐसे में प्रबंधन का मानना है कि मौजूदा वर्ष के अंत तक निर्माण पूरा होने के साथ ही उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। यहां 2200 एमटीपीडी अमोनिया और 3850 एमटीपीडी नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा। बरौनी खाद कारखाने में उत्पादन शुरू होने के बाद बिहार उर्वरक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
इसके अलावा तेलांगना के रामागुंडम में भी उर्वरक कारखाने का निर्माण कार्य इस वर्ष के जुलाई माह तक पूरा कर दिये जाने का लक्ष्य है। रसायन एवं उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने राज्यसभा में सांसद महेश पोद्दार के सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि मोदी सरकार ने उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए एचयूआरएल के बंद पड़े उर्वरक संयंत्रों से फिर से उत्पादन शुरू करने की पहल की है। सरकार ने गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी में 12.7 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष क्षमता के गैस आधारित यूरिया संयंत्रों की स्थापना करके उत्पादन फिर से शुरू करने की बात कही थी।