आज दूरदर्शन 61 वर्ष का हुआ,  आओ वो सुनहरे दिन याद करें

आज दूरदर्शन 61 वर्ष का हुआ, आओ वो सुनहरे दिन याद करें

आज दूरदर्शन 61 वर्ष का हो चुका है । यहां हम आपको बता दें कि भारत में 15 सितंबर 1959 को दूरदर्शन ने राजधानी दिल्ली से पहला प्रसारण शुरू किया था ।
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आज 15 सितंबर है । आज देश ही नहीं बल्कि हमारे लिए भी प्रसारण के क्षेत्र में बहुत गौरव का दिन है । आज बात उस मनोरंजन की होगी जिससे आपकी सुनहरी यादें जुड़ी हुईं हैं, इससे बचपन से शुरू हुआ आपका साथ आज भी बना हुआ है । आज चर्चा होगी 'दूरदर्शन' की । आज दूरदर्शन 61 वर्ष का हो चुका है । यहां हम आपको बता दें कि भारत में 15 सितंबर 1959 को दूरदर्शन ने राजधानी दिल्ली से पहला प्रसारण शुरू किया था ।

तब से लेकर अब तक इसने लंबा सफर सफर तय किया है । भारत में टेलीविजन की जब शुरुआत हुई तो दूरदर्शन ने ही पहली बार टीवी पर चित्र उकेरे थे। दूरदर्शन का एक ऐसा नाम है जिससे भारत में टीवी इतिहास की कहानी शुरू की थी । आज भी दूरदर्शन का नाम सुनते ही अतीत की कई गुदगुदाती और सुनहरे पल याद आ जाते हैं । शुरुआत में इसका प्रसारण सप्ताह में सिर्फ तीन दिन आधा-आधा घंटे होता था।

वर्ष 1965 से दूरदर्शन ने अपना प्रसारण रोजाना शुरू कर दिया था । पांच मिनट के समाचार बुलेटिन का आगाज भी इसी साल हुआ । उसके बाद 10 वर्ष तक दूरदर्शन धीरे-धीरे अपनी गति में आगे बढ़ता रहा ।‌ 1975 तक यह सिर्फ 7 शहरों तक ही सीमित था ।

इसी वर्ष इसका हिंदी नामकरण ‘दूरदर्शन’ से किया गया। यही नहीं कई बड़े फिल्म स्टारों ने भी अपनी यात्रा दूरदर्शन से ही शुरू की थी । शाहरुख खान, इरफान खान, पंकज कपूर, विद्या बालन, राकेश बेदी, मंदिरा बेदी, और मुकेश खन्ना आदि ऐसे कलाकार रहे जो दूरदर्शन से ही निकलकर बॉलीवुड के बड़े स्टार बने ।

1982 में 'कलर टेलीविजन' आने के बाद दूरदर्शन ने देश में पकड़ी स्पीड

आपको बता दें कि दूरदर्शन की विकास यात्रा शुरू में काफी धीमी मानी जाती है । धीमी यात्रा के पीछे देश में कई कारण थे । भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता और खराब बिजली व्यवस्था का अभाव और सरकारों का दूरदर्शन को बढ़ाने में ज्यादा रुचि न लेना, आदि कारण रहे । लेकिन वर्ष 1982 में ऐसा वर्ष था जो दूरदर्शन की विकास यात्रा को गति देने के लिए जाना जाता है ।

इस वर्ष नई दिल्ली में आयोजित हुए 'एशियाई खेलों' के प्रसारण ने भारत में दूरदर्शन की दिशा में 'क्रांति' ला दी थी । 1982 में ही देश में रंगीन (कलर) टेलीविजन बाजार में आ गए थे । इससे दूरदर्शन के दर्शकों में इसके प्रति दीवानगी अचानक बढ़ गई थी । 80 के दशक में पूरा देश दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रमों को देखकर अपना मनोरंजन करते थे। उस दौर में टेलीविजन ही मनोरंजन करने का सस्ता साधन हुआ करता था ।

अपने मनपसंद कार्यक्रमों और धारावाहिकों के लिए देशवासी एक सप्ताह तक इंतजार करते थे । टेलीविजन पर चित्रहार, सिनेमा, धारावाहिक और अन्य कार्यक्रमों को देखने के लिए लोग अपने महत्वपूर्ण काम भी छोड़ दिया करते थे ।

रामायण और महाभारत धारावाहिक ने दूरदर्शन की लोकप्रियता में जबरदस्त उछाल किया

हम बात करेंगे रामानंद सागर द्वारा निर्मित रामायण धारावाहिक की । वर्ष 1986 में धारावाहिक रामायण का टेलीविजन पर प्रसारण किया गया था । रामायण देखने के लिए लोग एक सप्ताह इंतजार करते थे ।

उसके बाद वर्ष 1988 में फिल्म डायरेक्टर बीआर चोपड़ा ने दूरदर्शन पर धारावाहिक महाभारत का प्रसारण के लिए शुरू किया । इन दोनों धारावाहिकों ने देश में टेलीविजन देखने वालों का एक नया दर्शक तैयार कर दिया था ।‌ उस दौर में रामायण और महाभारत के प्रसारण के दौरान देश की सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता था ।‌

उसके बाद धारावाहिक हम लोग, बुनियाद, नुक्‍कड़, यह जो है जिंदगी, शांति और शक्तिमान जैसे कार्यक्रमों ने दूरदर्शन की लोकप्रियता को बुलंदियों पर पहुंचा दिया । इसके साथ ही 'चित्रहार' और हर रविवार को सुबह प्रसारित होने वाली 'रंगोली' को भी दर्शक नहीं भूल पाएंगे । वर्ष 1990 के बाद दूरदर्शन ने अपने लोकप्रिय 'मेट्रो चैनल' की शुरुआत की थी । मेट्रो ने कम समय में ही लोगों को अपना दीवाना बना लिया था ।

अगर विज्ञापनों की बात करें तो 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' जहां लोगों को एकता का संदेश देने में कामयाब रहा, वहीं बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर-हमारा बजाज से अपनी व्यावसायिक क्षमता का लोहा भी मनवाया । दूरदर्शन के इन विज्ञापनों को भी लोग नहीं भूले हैं ।आपको बता दें कि तीन नवंबर 2003 में दूरदर्शन का 24 घंटे चलने वाला समाचार चैनल शुरू किया गया था। दो राष्‍ट्रीय और 11 क्षेत्रीय चैनलों के साथ कुल दूरदर्शन के कुल 21 चैनल प्रसारित होते हैं ।

लॉकडाउन में देशवासी एक बार फिर अपने दूरदर्शन से जुड़े थे

पिछले दो दशकों से देश में निजी चैनलों की बाढ़ आ गई है, लेकिन दूरदर्शन का महत्व आज भी लोगों के लिए कम नहीं हुआ है ।‌ ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग दूरदर्शन को उसी अंदाज में देखते हैं । कुछ माह पहले देश में कोरोना महामारी फैलने के बाद लगाए गए लॉकडाउन में केंद्र सरकार ने एक बार फिर से दूरदर्शन को देशवासियों से जोड़ दिया था । केंद्र की भाजपा सरकार ने पुराने और लोकप्रिय धारावाहिक रामायण और महाभारत का प्रसारण दूरदर्शन के टेलीविजन पर किया था ।

सरकार के इस कदम का लोगों ने जबर्दस्त समर्थन किया और दूरदर्शन पर अपनी पुरानी यादें भी ताजा की । देशवासियों में इन दोनों धारावाहिकों को देखने के लिए वही पुरानी दीवानगी देखी गई । दोनों धारावाहिकों के प्रसारण से दूरदर्शन ने लॉकडाउन के दौरान अपनी कमाई के साथ 'टीआरपी' का भी जबरदस्त इजाफा किया । भले ही आज टीवी चैनल पर कार्यक्रमों की बाढ़ आ गई हो लेकिन दूरदर्शन की पहुंच को टक्कर दे पाना अभी भी किसी के बस की बात नहीं है । आइए आज दूरदर्शन दिवस पर कुछ पल अपनी पुरानी यादों को याद करें ।

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