जयंत चौधरी को साधने में नाकाम हुई भाजपा, पश्चिम यूपी की 12 सीटों पर जयंत ने चुनाव लड़ने का बनाया मन!
लखनऊ, सितंबर 6 (TNA) बीते तीन माह से राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया जयंत चौधरी को साधने के प्रयास में जुटी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्लान पूरी तरह से फेल हो गया है. (रालोद) के मुखिया ने समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ रहते हुए इंडिया गठबंधन का हिस्सा रहते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 12 संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है.
इसी क्रम में 11 सितंबर को गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) में पश्चिम यूपी के 12 जिलों के पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई गई है. ये बैठक रालोद के राष्ट्रीय संगठन महासचिव त्रिलोक त्यागी के नेतृत्व में होगी. बैठक में पार्टी प्रमुख जयंत चौधरी भी हिस्सा लेंगे. जयंत चौधरी अभी केरल में हैं और 10 सितंबर की शाम को केरल से लौटेंगे.
रालोद के प्रदेश अध्यक्ष राम आशीष राय के अनुसार, जयंत चौधरी संसदीय कमेटी की बैठक के लिए केरल गए हैं और वह 11 सितंबर को बैठक में हिस्सा लेकर पार्टी नेताओं को लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर निर्देश देंगे. नोएडा में होने वाली पार्टी नेताओं की बैठक में पश्चिम यूपी के जिला अध्यक्ष, जोनल अध्यक्ष और मंडल अध्यक्ष मौजूद रहेंगे. बैठक में संगठन को मजबूत करने और बूथ स्तर तक मजबूत करने को लेकर पार्टी नेताओं के बीच चर्चा होगी.
राम आशीष राय के मुताबिक पार्टी मुखिया ने राज्य की मेरठ, हाथरस, अलीगढ़, अमरोहा, फतेहपुर सीकरी, बागपत, बिजनौर, नगीना, मुजफ्फरनगर, कैराना, मथुरा, देवरिया और देवरिया लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है. इसके अलावा देवरिया संसदीय सीट पर भी पार्टी चुनाव लड़ना चाहती है. इन सभी सीटों पर रालोद का जनाधार रहा है और उसके पास मजबूत उम्मीदवार भी हैं. इसकी आधार पर पार्टी के मुखिया जयंत चौधरी उक्त सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बात करेंगे.
इसलिए भाजपा जयंत को अपने साथ जोड़ना चाहती है
भाजपा के साथ रालोद के जाने की चर्चाओं पर रालोद के राष्ट्रीय संगठन महासचिव त्रिलोक त्यागी का कहना है कि रालोद को अपने साथ करने के लिए भाजपा के नेता बीते विधानसभा चुनाव से प्रयास कर रहे है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद भी इस संबंध में प्रयास किया था, लेकिन वह सफल नहीं हुए. इसके बाद भाजपा ने जाट वोटों को साधने के लिए इसी समाज से आने वाले भूपेंद्र चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया, लेकिन अब एक साल बाद जाट समुदाय के बड़े नेता जयंत चौधरी को भी अपने पाले में लाने में सफल नहीं हुए हैं.
भाजपा जयंत को अपने साथ इसलिए लाना चाहती है क्योंकि पश्चिम यूपी में उसकी पकड़ कमजोर हो रही है. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम यूपी में पहली बार 17 जाट विधायक चुने गए. इनमें 10 भाजपा और 7 समाजवादी पार्टी (सपा)-राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) हैं. जबकि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कुल 14 जाट विधायक चुने गए थे और इनमें 13 भाजपा और एक रालोद का था. इस प्रकार विधानसभा में जाट विधायकों की संख्या तो बढ़ी लेकिन भाजपा की हिस्सेदारी घट गई. इसकी भरपाई के लिए भाजपा जयंत चौधरी को अपने खेमे में लाना चाहती है, लेकिन जयंत चौधरी इसके लिए तैयार नहीं है.
— राजेंद्र कुमार