यूपी में जातीय जनगणना पर भाजपा नेता खामोश!

यूपी में जातीय जनगणना पर भाजपा नेता खामोश!

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लखनऊ, अक्टूबर 4 (TNA) बिहार सरकार द्वारा जातीय जनगणना के आंकड़े जारी किया जाना उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं को अखर गया है. हालांकि जातीय जनगणना के मुद्दे पर भाजपा नेताओं के खामोशी अख़्तियार कर ली है, लेकिन इस मुद्दे को लेकर यूपी में सियासत शुरू हो गई है. समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के नेता ही नहीं बल्कि सत्ता पक्ष में शामिल भाजपा के सहयोगी दल भी जातीय जनगणना की मांग को फिर से उठाने लगे हैं.

भाजपा के सहयोगी दल अपना दल (एस) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने भी जातीय जनगणना कराने की मांग उठाकर भाजपा पर दबाव बढ़ाया है. वही भाजपा के नेताओं ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर भाजपा के रोज बयान देने वाले सीनियर नेता भी यूपी में जातीय जनगणना कराने के मामले में बोलने को तैयार नहीं हैं.

भाजपा नेताओं की खामोशी पर उठ रहे सवाल

जातीय जनगणना के मसले पर भाजपा नेताओं की खामोशी को राजनीतिक खामोशी बताया जा रहा है. हालांकि भाजपा के तमाम बड़े नेता अपने को पिछड़े समाज का नेता बताने में बड़ा गर्व महसूस करते हैं, लेकिन वही नेता अब जातीय जनगणना के सवाल पर बोलने से बच रहे हैं. सूबे के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी ऐसे ही एक बड़े नेता हैं. जबकि केशव प्रसाद मौर्य और पार्टी के अन्य कई एटा ओबीसी व दलित को साधने के लिए भी जतन कर रहे हैं.

बीते दो लोकसभा दो विधानसभा चुनावों में पिछड़े वर्ग के लोगों ने भाजपा को हर जिले और सीट पर दिल खोलकर वोट दिए, फिर भी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर जोर देने तथा सबका साथ और सबका विकास का दावा करने वाले नेता यूपी में जातीय जनगणना कराने के सवाल पर चुप्पी साढ़े हुए हैं. ऐसा क्यों किया जा रहा है? इस बारे में पूछे जाने पर यह कहा जा रहा है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से इस मामले में अभी कुछ भी बोलने का इशारा नहीं हुआ है. चूंकि यह मामला बेहद ही राजनीतिक है, इसलिए अभी इस मुद्दे पर बोलने से यूपी में भाजपा के नेता बच रहे हैं.

जातीय जनगणना कराने को मांग तेजी पकड़ेगी

परन्तु भाजपा के सहयोगी दल इस मामले में खामोश रहने को तैयार नही हैं. अपना दल (एस), सुभासपा और निषाद पार्टी के बड़े नेताओं ने जातीय जनगणना यूपी में भी कराने की मांग फिर से दोहराई है. अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल का कहना है कि उनकी पार्टी हमेशा से जातीय जनगणना कराने की पक्षधर रही है. पार्टी ने इस मुद्दे को सड़क से लेकर संसद तक में उठाया है. अनुप्रिया पटेल ने जातीय जनगणना को समय की मांग बताया है.

इसी प्रकार सुभासपा के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता अरुण राजभर का कहना है कि उनकी पार्टी का गठन ही इस मुद्दे की लड़ाई को लेकर हुआ है. पार्टी विधानसभा में इस मुद्दे को कई बार उठा चुकी है. हर वर्ग के हिस्सेदारी की लड़ाई सत्ता के भीतर और बाहर रहकर भी लड़ती रही है. सुभासपा ने तो रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग भी की है. फिलहाल सहयोगी दलों के नेताओं की इस मांग पर भाजपा के भूपेंद्र चौधरी कहते हैं कि वह हमारे सहयोगी दल हैं, उनका राजनीतिक एजेंडा भाजपा से अलग है.

जातीय जनगणना के मुद्दे पर भूपेंद्र चौधरी तो कुछ नहीं बोलते लेकिन भाजपा के प्रवक्ता नाम ना छापने की शर्त पर यह जरूर बताते हैं कि सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा में पहले ही कह चुके हैं कि जनगणना कराना केंद्र सरकार का अधिकार है. राज्य सरकार जनगणना नहीं करा सकती है. जाहिर है कि अब यूपी में जातीय जनगणना कराने के सवाल को लेकर विपक्ष और भाजपा के सहयोगी दल योगी सरकार पर दबाव बनाएंगे.

और यूपी में जातीय जनगणना कराने की मांगे तेजी पकड़ेगी. बसपा की मुखिया मायावती ने इसकी शुरुआत भी मंगलवार को कर दी. उन्होने योगी सरकार को नसीहत दी है कि वह बिना देरी किए हुए इस मामले में फैसला लें. मायावती ने कहा है कि यूपी सरकार को अपनी नीति और नीयत में जनभावना का ध्यान रखते हुए जातीय आधारित गणना पर सर्वे शुरू कर देना चाहिए. अखिलेश यादव भी यूपी में जातीय जनगणना की मांग खुलकर कर रहे हैं.

— राजेंद्र कुमार

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