सपा में उम्मीदवारों के बदलाव की यह रणनीति पार्टी को पड़ सकती मंहगी !
लखनऊ, अप्रैल 3 (TNA) अबकी बार चार सौ पार के लक्ष्य के साथ चुनावी मैदान में उतरी भाजपा के लिए यूपी में मिशन-80 फतह करना बेहद अहम है। ऐसे में भाजपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दो चरणों के चुनाव को लेकर अपनी पूरी ताकत झोककर पश्चिम में सियासी पारा बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह समेत वरिष्ठ नेता मतदाताओं को साधने में जुटे हुए हैं।
वहीं, उत्तर प्रदेश की प्रमुख विपक्षी दल सपा में लगातार प्रत्याशी बदलने की खबरों से ऐसा लग रहा है कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है। इससे मतदाताओं में भी असमंजस की स्थिति बन रही है। हो सकता है कि उम्मीदवारों में यह बदलाव किसी रणनीति के तहत हो रहा हो। क्षेत्रीय गुटबंदी का दबाव है, प्रत्याशी को लेकर अविश्वास है या खुद का आत्मविश्वास डगमगाया हुआ है, लेकिन इस स्थिति से न केवल पार्टी में गुटबंदी बढ़ेगी, बल्कि भितरधात की आशंका को भी बल मिलेगा, जो पार्टी को मंहगी पड़ सकती है। अब तक आधा दर्जन से ज्यादा सपा उम्मीदवारों के चेहरे बदल चुके हैं।
ताजा बदलाव सोमवार की देर रात मेरठ में हुआ। अब यहां अतुल प्रधान पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी होंगे। वह सरधना सीट से सपा के विधायक और पार्टी का युवा चेहरा हैं। इसके पहले एडवोकेट भानु प्रताप को मेरठ से लोकसभा प्रत्याशी घोषित किया गया था। बताया जा रहा कि पार्टी में उनका विरोध हो रहा था। सपा प्रत्याशियों में बदलाव का यह क्रम अभी आगे में चलने की चर्चा है। इसमें घोषी लोकसभा से घोषित प्रत्याशी राजीव राय के भी बदलने का ताना-बाना बुना जा रहा है। उनकी जगह किसी अति पिछड़े वर्ग के नेता को मैदान में उतारने की दिशा में मंथन चल रहा है। एनडीए गठबंधन के कोटे में यह सीट प्रदेश में मंत्री ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा को मिली है। इस सीट पर राजभर अपने बेटे को चुनाव लड़ा रहे हैं।
सपा ने फिलहाल जिन लोकसभा सीटों के प्रत्याशी बदले हैं, उनमें फिलहाल बदायूं, बिजनौर, मिश्रिख, रामपुर, मुरादाबाद, गौतमबुद्धनगर, बागपत और मेरठ शामिल है। उम्मीदवारों के बदलाव की शुरूआत बदायूं से हुई है। सपा मुखिया ने यहां धर्मेंद्र यादव को पहले प्रत्याशी बनाया था। फिर भी लंबे समय तक असमंजस की स्थिति बनी रही। बाद में शिवपाल यादव यहां से प्रत्याशी घोषित किए गए। यह बात दीगर है कि शिवपाल यादव, यहां से अपने बेटे आदित्य यादव को चुनाव लड़ाना चाहते थे। उसके बाद नंबर आया बिजनौर लोकसभा का। यहां पहले यशवीर सिंह को टिकट दिया था ।
बाद में उनकी जगह दीपक सैनी को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। मिश्रिख सीट पर तो अजीब असमंजस की स्थिति दिखी। सपा ने इस सीट पर पहले रामपाल राजवंशी को टिकट दिया था । बाद में उन्होंने अपनी जगह बेटे के लिए पैरवी की तो मनोज राजवंशी को टिकट मिल गया। फिर मनोज की पत्नी संगीता राजवंशी को पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है।
रामपुर और मुरादाबाद में सपा का प्रत्याशी बदलना तो काफी चर्चा में रहा। इन दोनों लोकसभा सीट पर जबरदस्त खेमेबाजी दिखी, जो नामांकन वाले दिन तक जारी रही। ऐन वक्त पर सपा मुखिया ने दिल्ली से इमाम मोहिबुल्ला को बुलाकर रामपुर से नामांकन कराया। हालांकि दबाव बनाने को रामपुर के सपा जिलाध्यक्ष असीम राजा ने भी एक नामांकन भर दिया, जो बाद में खारिज हो गया। यही स्थिति मुरादाबाद में भी देखने को मिली।
एक दिन पहले ही सांसद एसटी हसन ने बतौर सपा उम्मीदवार पर्चा भर कर दिया था। फिर अगले दिन अचानक अधिकृत उम्मीदवार के रूप में रुचि वीरा ने पर्चा दाखिल किया। उधर, गौतमबुद्धनगर सीट को लेकर भी लंबे समय तक असमंजस की स्थिति रही। पहले यहां के गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट से पार्टी ने डॉ. महेंद्र नागर का टिकट काटकर राहुल अवाना को प्रत्याशी बनाया था। बाद अवाना को बदलकर फिर डॉ. महेंद्र नागर को अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया।