बेटे का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र आजम परिवार पर भारी पड़ा, पूरा परिवार सात साल के लिए सलाखों के पीछे
लखनऊ, अक्टूबर 19 (TNA) उत्तर प्रदेश की राजनीति में चर्चित रहे आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का मामला खान साहब के परिवार पर भारी पड़ गया. बुधवार को अब्दुल्ला आजम के बहुचर्चित फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में रामपुर (एमपी-एमएलए) कोर्ट ने आजम खां, उनकी पत्नी तंजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्ला आजम को सात साल की सजा सुना दी. इसके बाद इन तीनों को कोर्ट से सीधा जेल भेजने की कार्रवाई की जा रही.
एमपी-एमएलए कोर्ट ने समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम खां के दो जन्म प्रमाणपत्र मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक आकाश सक्सेना ने वर्ष 2019 में रामपुर के गंज थाने में अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दो जन्म प्रमाणपत्र होने का मामला दर्ज कराया था, जिसमें सपा नेता आजम खां और उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फात्मा को भी आरोपी बनाया गया था. इस मामले में सुनाए गए फैसले के बाद अब आजम खान, उनकी पत्नी और बेटे को सात साल के लिए जेल में रहना पड़ेगा.
बेटे के चलते ऐसे हुई सजा
आजम खान और उनके परिवार को सात साल के लिए जेल भेजे जाने के इस फैसले से आजम खान के राजनीतिक वजूद पर अब पूरी तरह से ग्रहण लगना तय हो गया. छह साल पहले जब आजम खान ने अपने बेटे अब्दुल्ला आजम को विधानसभा चुनाव लड़ाया था, तब उन्होने यह नहीं सोचा था कि अपने इस बेटे के जन्म प्रमाणपत्र के चलते उनकी राजनीति पर ग्रहण लगेगा और उन्हे जेल जाना पड़ेगा. आजम खान बे वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अब्दुल्ला आजम को स्वार टांडा सीट से चुनाव लड़ाया था.
तब अब्दुल्ला आजम की ओर से जन्मतिथि का जो ब्योरा दिया गया था, उसे उस समय उनके निकटतम प्रतिद्वंदी रहे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. नवेद मियां का का कहना था कि 2017 में चुनाव के समय अब्दुल्ला आजम की उम्र 25 साल से कम थी, जबकि चुनाव लड़ने के लिए अब्दुल्ला ने फर्जी कागजात और हलफनामा दाखिल किया था. नवेद ने अब्दुल्ला की हाईस्कूल की मार्कशीट और अन्य दस्तावेजों को हाईकोर्ट में अपने आरोप का आधार बनाया था.
इस मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद अब्दुल्ला की विधानसभा की सदस्यता को रद्द करते हुए चुनाव शून्य घोषित कर दिया था. जिसके चलते अब्दुल्ला आजम की विधायकी खत्म हो गई. इसके बाद अब्दुल्ला आजम दूसरी बार वर्ष 2022 में स्वार टांडा सीट से फिर चुनाव लड़े और वह जीत भी. लेकिन मुरादाबाद के छजलैट प्रकरण के एक 15 साल पुराने मामले में कोर्ट ने उनको दोषी ठहराया और गत 14 फरवरी 2023 को उन्हे दो साल की कैद तथा तीन हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उनकी विधायकी दूसरी बार भी चली गई थी और अब फर्जी जन्म प्रमाणपत्र के प्रकरण में कोर्ट ने दो पक्षों के 30 गवाहों के बयान सुनने के साथ हाईकोर्ट के पूर्व में पारित निर्णय का हवाला देते हुए और दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर आजम खान, उनकी पत्नी तथा अब्दुल्ला आजम को सात साल की सजा सुनाई है.
देखते देखते लगा आजम की राजनीति पर ग्रहण
आजम खान सपा के कद्दावर नेता रहे हैं. उनकी तकरीरें कभी तालियों की गड़गड़ाहट बटोरा करती थीं. बीते छह वर्षों में उनकी तकरीरें नफरत पैदा करने लगीं और इसी आरोप में उनकी विधायिकी चली गई. उन्हे जिताकर भेजने वाली रामपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों में भाजपा के आकाश सक्सेना जीत गए. तमाम प्रयासों के बाद भी आजम खान रामपुर में हुए उपचुनाव में अपना गढ़ बचा पाने में सफल नहीं हुए.
आजम खान के पराभव को लेकर रामपुर के लोगों का कहना है कि एक वह दौर भी था जब आजम खां का शुमार एक बेबाक नेता के तौर पर होता था, लेकिन रामपुर में लोकसभा चुनाव के दौरान जयाप्रदा के विरुद्ध अशोभनीय शब्दों के इस्तेमाल ने उनकी छवि पर प्रतिकूल प्रभाव डाला. सपा से इसलिए उनकी रुख्सती भी हुई, लेकिन वे माने नहीं. नफरती बयान देना उनकी राजनीति का अहम हिस्सा बन गया था. जिसके भरोसे उन्होने अपनी राजनीति तो चमकायी ही रामपुर को भी समाजवादी पार्टी के गढ़ में बदला दिया.
दस बार वह यहां से चुनाव जीते. आजम खां की विधायकी जाने और अब उनका आवास छिन जाने के बाद आजम खान और उनकी पत्नी-बेटे को अब सात साल की सजा सुनाई गई है. यह सजा आजम खान और उनके समर्थकों के लिए बड़ा झटका है. ऐसे में अब आजम खान रामपुर में अपना पुराना रुतवा फिर हासिल कर पाएंगे, यह संभव होता नहीं दिख रहा है. इसकी वजह बीते दो वर्षों में रामपुर में भाजपा का उदय और आजम खान की लगातार हार को माना जा रहा है.
— राजेंद्र कुमार