लोकसभा चुनाव का प्रथम चरण: मोदी की गारंटी पर 2014 जैसे परिणाम या दोहराएगा 2019?
लखनऊ, मार्च 27 (TNA) लोकसभा चुनाव के पहले चरण में उत्तर प्रदेश के आठ सीटों पर नामांकन प्रक्रिया बुधवार को समाप्त हो गयी। इसके साथ ही भाजपा ने अपना चुनावी अभियान भी शुरू कर दिया। चुनावी रैलियों के पहले मुख्यमंत्री 27 से 31 मार्च तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में प्रबुद्धजनों के साथ ही आम लोगों से भी संवाद करेंगे।
इसमें सरकार द्वारा किए गए कार्यों का लेखा-जोखा प्रस्तुत कर, एक बार फिर मोदी सरकार के संकल्प की चुनावी जमीन तैयार करेंगे। वहीं प्रधानमंत्री भी 31 मार्च को पश्चिम में ही मेरठ से उत्तर प्रदेश में चुनावी शंखनाद करेंगें। इसमें रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी भी उनके साथ मंच साझा करेंगे। पीएम इस रैली के माध्यम से भाजपा और गठबंधन के प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाएंगे। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी में नामांकन के अंतिम दिन भी मुरादाबाद और रामपुर में अधिकृत प्रत्याशियों को लेकर संशय की स्थिति बनी रही।
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में पश्चिम की आठ सीटों-सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत में 19 अप्रैल को मतदान होगा। माना जा रहा है कि यहां से जो रूझान मिलेंगे, उसका असर बाद के चरणों में होने वाले चुनाव में देखने को मिल सकता है। ऐसे में कयास इस बात के लगाए जा रहे हैं कि उन सीटो पर परिणाम 2014 जैसे रहते हैं या इस बार 2019 दोहराएगा।
2014 में भाजपा ने जहां इस चरण की सभी आठ सीटो पर जीत हासिल की थी, वहीं 2019 में सपा, बसपा और रालोद गठबंधन ने यह रिकार्ड पलट दिया था। भाजपा तीन सीटों पर ही सिमट गई थी, जबकि विपक्षी गठबंधन को पांच सीटे हासिल हुई थी। सपा को दो सीटे- मुरादाबाद व रामपुर तथा बसपा को तीन सीटें-सहारनपुर, बिजनौर और नगीना मिली थीं। खास बात यह है कि कुछ सीटों पर भाजपा को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था।
वहीं, मुजफ्फरनगर सीट पर बहुत कम अंतर- 6,526 वोटों से जीत दर्ज की थी। हां, पीलीभीत सीट पर भाजपा ने ढाई लाख वोटों से जीत हासिल की थी। यह दीगर बात है कि बाद में रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने सपा से यह सीट हथिया ली थी। भाजपा के घनश्याम लोधी ने सपा के आसिफ रजा को 42 हजार से अधिक वोटों से हराया था।
ऐसे हालात में 2024 लोकसभा के लिए पहले चरण के चुनाव में नजर इस बात पर टिकी है कि इस बार मोदी की गारंटी के असर पर धुव्रीकरण होगा या जातीय समीकरण ही प्रभावी होगा। हालांकि धारा 370 की समाप्ति, अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर बनने और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर भी भाजपा को अपने पक्ष में माहौल दिख रहा है। इस बार रालोद के साथ आने से भी भाजपा खेमें में लाभ मिलने की संभावना देखी जा रही है।
लेकिन, महत्वपूर्ण होगा कि हर बार की तरह इस बार भाजपा के साथ जाने पर मुस्लिम वोटर उसके पक्ष वोट करेगा? किसान आंदोलन के चलते जाट वोटर का रूख भी महत्वपूर्ण होगा। सपा और कांग्रेस के गठजोड़ से यह माना जा रहा है कि मुस्लिम मतों को बंटवारा शायद न हो। ऐसे में रामपुर, सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद जैसे लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा को कड़ी टक्कर मिल सकती है।
हालांकि बसपा के अलग चुनाव लड़ने से विपक्षी गठबंधन पर असर पड़ने का अंदेशा जताया जा रहा है। यह इसलिए भी टिकट देने में बसपा की ओर से अपनाई गई सोशल इंजीनियरिंग से सपा-काग्रेस के गठबंधन का समीकरण गड़बड़ा सकता है।