अपराध से धर्म की राह पर चला सफेद सूट वाले नारायण साकार उर्फ भोले बाबा

अपराध से धर्म की राह पर चला सफेद सूट वाले नारायण साकार उर्फ भोले बाबा

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लखनऊ, 3 जुलाई (TNA) हाथरस के पुलराई गांव में मंगलवार को भोले बाबा नामक शख्स के सत्संग में मची भगदड़ और 121 लोगों (सरकारी आकड़ा) की मौत ने शासन-प्रशासन को हिला कर रखा दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही पुलिस और शासन के आला अफसरान पूरे मामले की समीक्षा में जुट गए हैं। घटना की भयावहता का अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री तक ने अपनी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए सरकारी सहायता का एलान किया है।

इस हादसे के बाद यूपी पुलिस ने जांच शुरू कर दी। बाबा फिलहाल कहां है, ये अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन सिपाही सूरजपाल से सफेद सूट वाले नारायण साकार उर्फ भोले बाबा की पहचान बनाने वाले इस कथित संत की कहानियां परत-दर-परत खुलने लगी है। हालांकि पुलिस महकमें की ओर से उसके काले राज की बाबत अभी कोई दस्तावेजी सबूत सामने नहीं आया है, लेकिन यूपी के पू्र्व डीजीपी विक्रम सिंह समेत कई अन्य के बयानों पर नजर डालें तो भोले बाबा की काली करतूतों की लंबी फेहरिश्त का पता चलता है।

इस पर यौन शोषण समेत आधा दर्जन से अधिक गंभीर जुर्म दर्ज होना बताया जा रहा हैं। चर्चा है कि आगरा में एक बच्ची की मत्यु हुई थी। उस वक्त बाबा ने दावा किया था कि मैं बच्ची को जिंदा कर दूंगा तब बाबा पर केस हुआ था। बताया जाता है कि यौन शोषण के आरोप में सिपाही की नौकरी से बर्खास्त होने के बाद उसने अपना नाम और पहचान बदलकर साकार नारायण हरि रख लिया और बन गया भोले बाबा। वहीं उसके कुछ अनुयायियों का कहा है कि 1997 से 1998 के बीच मुख्य आरक्षी के पद पर रहते हुए गुरु जी ने अपनी इच्छा से पुलिस की नौकरी छोड़ दी और आध्यात्म की ओर जुड़ गए। उसके बाद मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम के नाम से सत्संग करने लगे।

नारायण साकार उर्फ भोले बाबा उर्फ सूरजपाल, जाटव बिरादरी से ताल्लुक रखता है तथा बहादुर नगर थाना पटियाली जनपद कासगंज का मूल निवासी है। इसके चलते एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग में उसकी गहरी पैठ बतायी जाती है। उसके अनुयायियों में मुस्लिम भी शामिल हैं। सियासी हलको में भी उसके रिश्ते बताए जाते हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव के भी कभी-कभार उसके सत्संग में जाने की बात कही-सुनी जाती है। बसपा सरकार में भोले बाबा लाल बत्ती की गाड़ी में सत्संग स्थल तक पहुंचता था। उसकी कार के आगे-आगे पुलिस एस्कॉर्ट करते हुए चलती थी।

भोले बाबा को लेकर एक दूसरी कहानी यह भी है कि पुलिस महकमें में सिपाही के पद पर भर्ती होने के बाद वह आगरा में भी कई वर्षों तक तैनात रहा। उसी दौरान उसने आध्यात्म विचारधारा का सहारा लेकर शाहगंज क्षेत्र के अंतर्गत केदार नगर में अपना एक आश्रम तैयार किया। वहां भोले बाबा के भक्तों ने उसे गुरु के तौर स्वीकार करते हुए सर-माथे लिया।

अचानक इतनी बड़ी उपलब्धि पाकर कथित गुरु सूरजपाल ने सोचा कि नौकरी करने में कोई फायदा नहीं है और उसने आध्यात्मिक गुरु बनने का रास्ता अपनाया, जिसमें ग्लैमर, पैसा, सम्मान, वैभव ,कीर्ति सब कुछ एक साथ मौजूद था ।

उनके कुछ कथित चमत्कारों के चलते भोले-भाले भक्त जुड़ने लगे। बताया जाता है कि भोले बाबा कुछ अनुयायियों ने उसके नाम, सुरजपाल का निकनाम एसपी को लेकर यह प्रचारित किया कि उसने पुलिस विभाग में एसपी का पद छोड़कर आध्यात्मिक का रास्ता अपनाया हैं।

इससे उसके भक्तों की संख्या बढ़ने लगी। उसके अनुयायियों में जाटव जाति के लोग ज्यादा हैं। उनमें महिलाऔं की संख्या ज्यादा है। मंगलवार को सत्संग में घायल और मरने वालों में महिलाएं और बच्चे की संख्या भी इस बात की पुष्टि करती है।

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