मायावती ने पार्टी पदाधिकारियों के सुझाव को ठुकराया, बसपा अकेले ही चुनाव लड़ेगी!
लखनऊ, दिसंबर 1 (TNA) बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने गुरुवार को फिर यह कहा, आगामी लोकसभा चुनाव पार्टी अपने दम पर ही लड़ेगी. किसी भी राजनीतिक दल के साथ चुनावी तालमेल नहीं किया जाएगा. बसपा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (इडिया) से दूरी रखते हुए चुनाव लड़ेगी.
पार्टी के तमाम नेताओं द्वारा मायावती को दिए गए इस सुझाव कि किसी बड़े राजनीतिक दल से साथ चुनावी गठबंधन कर चुनाव लड़ा जाए को लेकर मायावती ने यह ऐलान किया है. यह भी कहा है कि राजनीतिक दलों से गठबंधन करने को लेकर पार्टी पदाधिकारी परेशान ना हो, समय आने पर इस संबंध में बहुजन समाज के हित में विचार किया जाएगा. फिलहाल तो पार्टी अकेले ही चुनाव मैदान में उतरेगी और अपनी ताकत का अहसास कराएगी.
मायावती का कथन
पार्टी नेताओं को यह स्पष्ट करते हुए मायावती ने यूपी और उत्तराखंड के पार्टी पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों से यह भी कहा कि आगामी लोकसभा चुनावों में किसी एक पार्टी का वर्चस्व नहीं रहेगा और बहुकोणीय मुक़ाबला होगा.
इसलिए वह किसी भी भ्रम में ना रहे. पार्टी मजबूती के साथ चुनाव के मैदान में उतरेगी और सफल होगी. केन्द्र और यूपी सरकार की जनविरोधी नीतियों तथा कार्यप्रणाली आदि के कारण तेजी से हालत बदल रहे हैं, ऐसे में अब किसी एक पार्टी का वर्चस्व नहीं होकर बहुकोणीय संघर्ष का रास्ता चुनने को लोग आतुर लग रहे हैं. इसकी वजह है भाजपा सरकारों का कुशासन.
इसके बाद भी तमाम नेताओं के इस बारे में उन्हे सलाह दी तो गुरुवार को मायावती ने इस मामले में दो टूक शब्दों में अपना फैसला सुना दिया. अब कहा जा रहा है कि पार्टी मुखिया के अकेले ही चुनाव लड़ने के किए गए ऐलान के बाद आगामी लोकसभा चुनाव बेहद ही दिलचस्प और संघर्षपूर्ण होने की संभावना बढ़ गई है.
आज यूपी सहित अन्य भाजपा राज्यों में सभी जिलों में समग्र विकास के कराने बजाय कुछ गिने-चुने जिलों में ही सरकारी धन व्यय को प्राथमिकता दी जा रही है. इस संकीर्ण राजनीति से जनता पहले की तरह ही दुखी व त्रस्त है. ऐसे में अब भाजपा भी, सपा व कांग्रेस की तरह अपने काम के बल पर जनता से वोट मांगने की स्थिति में नहीं है और आगामी लोकसभा चुनावों में चुनावी स्वार्थ के लिए संकीर्ण, भड़काऊ एवं विभाजन कारी मुद्दों का फिर सहारा लिया जाएगा.बहुजन समाज के लोगों को ऐसे प्रचार से सावधान रहना है. इनके किसी भी धार्मिक और लोक लुभावन बहकावे में कत्तई नहीं आना है. बहुजन समाज को आगाह करना होगा कि भाजपा और कांग्रेस के हवा हवाई विकास के छलावे में वह ना आए.
इसलिए दिया गया था सुझाव
पार्टी नेताओं के अनुसार, उत्तर प्रदेश की राजनीति में बसपा की राजनीतिक ताकत भले ही काफी कम हो गई है, इसके बावजूद उसकी प्रासंगिकता कम नहीं हुई. उलटे दूसरी पार्टियों को उसकी जरूरत बढ़ गई है. जिसके चलते ही एनडीए और इंडिया गठबंधन के तमाम नेता यह प्रयास कर रहे है कि बसपा उसके साथ आ जाए. इमरान मसूद जैसे तमाम नेताओं ने भी मायावती को कांग्रेस के साथ चुनावी तालमेल करने की सलाह दी थी, जिसके चलते ही मायावती से इमरान मसूद को पार्टी से निकाल दिया था.
इसके बाद भी तमाम नेताओं के इस बारे में उन्हे सलाह दी तो गुरुवार को मायावती ने इस मामले में दो टूक शब्दों में अपना फैसला सुना दिया. अब कहा जा रहा है कि पार्टी मुखिया के अकेले ही चुनाव लड़ने के किए गए ऐलान के बाद आगामी लोकसभा चुनाव बेहद ही दिलचस्प और संघर्षपूर्ण होने की संभावना बढ़ गई है. इसकी वजह है मायावती का भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही अपने निशाने पर रखना. गुरुवार को भी मायावती ने दलित समाज की गरीबी और बदहाली के लिए इन्ही दोनों को जिम्मेदार बताया.
पदाधिकारियों को दिए निर्देश
पार्टी के मुख्यालय में हुई बैठक के दौरान मायावती ने पार्टी पदाधिकारियों को डा. भीमराव अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस को पार्टी की परम्परा के अनुसार पूरे देश और प्रदेश पूरी मिशनरी भावना के अनुरूप आयोजित करने का निर्देश दिया. लखनऊ और नोएडा में इसके लिए बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. इसके साथ ही मायावती ने पार्टी संगठन तथा सदस्यता आदि की जिम्मेदारी को सख्ती के साथ पूरी करने और संसदीय चुनाव के लिए बेहतर कैडर व्यवस्था के आधार पर युवा मिशनरी लोग तैयार करने का निर्देश भी दिया.
— राजेंद्र कुमार