पश्चिम यूपी में अब हरित प्रदेश का कोई नहीं कर रहा जिक्र, दादा और पिता के मुद्दे को रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने भी भुलाया

पश्चिम यूपी में अब हरित प्रदेश का कोई नहीं कर रहा जिक्र, दादा और पिता के मुद्दे को रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने भी भुलाया

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लखनऊ, अप्रैल 5 (TNA) लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर चुनाव प्रचार ने रफ्तार पकड़ ली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चुनाव प्रचार का शुभारंभ मेरठ में पहली चुनावी रैली करके किया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर में एक बड़ी जनसभा को संबोधित कर विपक्षी दलों को आड़े हाथों लिया.

समाजवादी पार्टी (सपा), कांग्रेस तथा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार भी पश्चिम यूपी में अपनी सीटों पर चुनाव प्रचार करने में जुटे हैं. लेकिन इस बार पश्चिम यूपी में पहले चरण की आठ सीटों पर प्रचार कर रहा हर नेता कभी इस इलाके की सियासत को गर्म करने वाले हरित प्रदेश के मुद्दे का जिक्र तक नहीं कर रहा है. इस चुनाव का यह नया बदलाव है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया जयंत चौधरी ने अपने चुनावी कार्यक्रम के दौरान अभी तक हरित प्रदेश का जिक्र तक नहीं किया है. जबकि एक समय था जब हरित प्रदेश को पश्चिम यूपी के विकास का इंजन बताया जाता था.

जयंत के पिता चौधरी अजित सिंह ने हरित प्रदेश की मांग को पश्चिम यूपी में एक अहम मुद्दा बना दिया था. सबसे पहले यह मांग अजित सिंह के पिता चौधरी चरण सिंह ने की थी. वर्ष 1953 में चौधरी चरण सिंह ने राज्य पुनर्गठन आयोग से पश्चिमी यूपी को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग की थी, तब 97 विधायकों ने इसका समर्थन किया था.

इसके बाद बनारसी दास गुप्ता, राम प्रकाश गुप्ता, कल्याण सिंह और मायावती ने भी हरित प्रदेश बनाए जाने की वकालत की. चौधरी चरण सिंह, बनारसी दास गुप्ता, राम प्रकाश गुप्ता, कल्याण सिंह और मायावती सभी यूपी के मुख्यमंत्री भी रहे, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई. और अब तो इस चुनाव में हरित प्रदेश का कोई नाम तक नहीं ले रहा. और अब तो पूरे पश्चिम यूपी में यह कहा जा रहा है कि दादा और पिता के मुद्दे को रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने भी भुला दिया है.

इसलिए खत्म हुआ मुद्दा

हालांकि मुजफ्फरनगर के भाजपा के प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान हरित प्रदेश बनाए जाने के पक्षधर हैं लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान वह हरित प्रदेश बनाए जाने का नाम तक नहीं लेते. जबकि वह उन जयंत चौधरी के भरोसे मुजफ्फरनगर सीट से लगातार तीसरी बार संसद में पहुँचने के प्रयास में हैं, जिनके पिता चौधरी अजित सिंह ने आगरा, मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, बरेली और अलीगढ़ संभाग को मिलाकर हरित प्रदेश के निर्माण के मुद्दे को जनता की आवाज बनाया था. पश्चिम यूपी की जाट, मुस्लिम और गुर्जर आबादी का इस मुद्दे को समर्थन भी मिला.

चौधरी चरण सिंह ने जाट, मुस्लिम और गुर्जर को पश्चिम यूपी की ताकत बनाया था, लेकिन रालोद के इस इलाके में कमजोर हो जाने के कारण हरित प्रदेश बनाए जाने की मांग कमजोर हुई और बदले वक्त में तो नई जरूरतों के साथ अब मुद्दे बदले तो हरित प्रदेश की मांग को भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद सभी ने भुला दिया. अब भाजपा के नेता अयोध्या में हुए राम मंदिर के निर्माण, ज्ञानवापी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामलों का जिक्र कर रहे हैं. सीएए और एनआरसी की बात की जा रही हैं.

जनता को मिल रहे फ्री राशन, फ्री आवास, शौचालय और रसोई गैस का उल्लेख किया जा रहा है. वही दूसरी तरह विपक्ष के नेता ईडी के जरिए गैर भाजपा नेताओं को जेल भेजने की बात कर जनता से वोट मांग रहे हैं. यह लोग भी हरित प्रदेश के मुद्दे पर अपनी जबान नहीं खोलते क्योंकि इनकी नजर में भी हरित प्रदेश के मुद्दा अब पश्चिम यूपी की उर्वरा धरती पर बंजर हो चुका है.

— राजेंद्र कुमार

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