मंत्रिमंडल विस्तार की बाट जोहते ओपी राजभर, सीएम योगी को फ़िलहाल उनकी बेचैनी की फिक्र नहीं !
लखनऊ, अक्टूबर 28 (TNA) योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की आस में विजयदशमी भी बीत गई है, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख तय नहीं हुई. ऐसे में अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओम प्रकाश राजभर के सामने मंत्रिमंडल विस्तार की बाट जोहते रहने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है. ओम प्रकाश राजभर जो ओपी राजभर के नाम से देशभर में जाने जाते हैं.
योगी सरकार में मंत्री बनने की तमन्ना के चलते ओपी राजभर समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव से नाता तोड़कर बीते सितंबर में वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन( एनडीए) में शामिल हुए थे. तब से वह योगी सरकार में मंत्री बनाए जाने को लेकर कई दावे कर चुके हैं, लेकिन अभी तक उनकी तमन्ना पूरी नहीं हुई है. बता जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेताओं ने उन्हे इस मामले में अब बयानबाजी ना करने की सलाह दी है. यानी कि उनके मंत्री बनाने का मामला अब दो एक महीने टल गया है.
मंत्री बनाने के लिए सपा के खिलाफ बोल रहे ओपी
हालांकि मंत्री बनाए जाने की पक्की संभावनाओं के चलते ही बीते सितंबर में ओपी राजभर ने यह एलान किया था कि उन्हे जल्दी ही योगी सरकार के मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी. इस विश्वास के बाद ही उन्होंने सपा को घेरने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया था. इसके लिए ओपी राजभर सूबे में पिछड़े, अति पिछड़े, दलितों व वंचितों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सपा सरकार की नाकामियों को बताने में जुट गए हैं.
जिसके तहत वह सपा पर पिछड़ों की अनदेखी करने का आरोप लगा रहे हैं. पिछड़ों खासकर दलितों के बीच जाकर वह गेस्ट हाउस कांड (जून 1995 हो हुए ) का जिक्र करते हुए सपा नेताओं द्वारा बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ किए गए दुर्व्यवहार और नौकरी में प्रमोशन में एससी-एसटी के आरक्षण को खत्म करने के मामले को उठा रहे है.
इसी प्रकार वह सपा सरकार के दौरान दलितों और अति पिछड़ों की अनदेखी से जुड़े कई प्रकरणों का जिक्र कर सपा को दलित और पिछड़े समाज का विरोधी साबित करने का प्रयास कर रहे हैं. ओपी राजभर को उम्मीद थी कि सपा के खिलाफ उनके द्वारा चलाया जा रहा अभियान उन्हे भाजपा का हितैषी साबित करेगा और जल्दी ही उन्हे योगी सरकार में जगह भी मिल जाएगी.
इसलिए अटका मामला
ओपी राजभर ही यह मंशा पूरी भी हो जाती अगर घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान की हार ना हुई होती. दारा सिंह चौहान की जीत का दावा ओपी राजभर ने भाजपा के बड़े नेताओं से किया था और उन्हे जीतने के लिए 15 दिन वह घोसी में कैंप भी किए थे. घोसी विधानसभा सीट पर 50 हजार से अधिक राजभर मतदाता हैं और ओपी राजभर ने दावा किया था कि यह समूचा वोट दारा सिंह चौहान को ही मिलेगा.
परंतु ऐसा हुआ नहीं और 50 हजार से अधिक वोटों से दारा सिंह चौहान की हार हुई. इसके बाद भी ओपी राजभर ने यह दावा किया जल्दी ही वह योगी सरकार में मंत्री बनेंगे. जबकि सभी को पता था कि सीएम योगी आदित्यनाथ उन्हे अपने मंत्रिमंडल में शामिल करने के इच्छुक नहीं है क्योंकि बीते विधानसभा चुनावों के पहले जब उन्होंने योगी सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा देकर सपा के साथ जाने का फैसला किया था, तब उन्होने भाजपा और योगी सरकार की आलोचना की थी.
उनके इस कृत से सीएम योगी अभी भी भूले नहीं है, इसलिए उन्होने पार्टी के शीर्ष नेताओं के संकेत के बाद भी अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने में रुचि नहीं दिखाई है. जबकि दस दिन पहले ओपी राजभर ने विजयदशमी के पहले योगी सरकार में मंत्री बनाए जाने की बात मीडियाकर्मियों से कही थी.
इसलिए अभी जोहनी होगी बाट
ऐसे में विजयदशमी के बीतते ही उनके मंत्री ना बनाए जाने की चर्चा फिर होने लगी है और अब यह कहा जा रहा है ओपी राजभर के पास अब मंत्री बनने के लिए इंतजार करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. सूबे में राजनीति के जानकारों का कहना है कि योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर लखनऊ से दिल्ली तक दो तरह की राय है. एक राय है कि योगी सरकार के जिन मंत्रियों को लोकसभा चुनाव लड़ाया जाना है उन्हें अभी से मंत्री पद से मुक्त कर चुनाव की तैयारी में लगा दिया जाए.
दूसरी राय है कि फिलहाल सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर, मऊ से चुनाव हारे दारा सिंह चौहान सहित कुछ अन्य चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाए. उसके बाद दूसरा विस्तार लोकसभा चुनाव के बाद कर लिया जाए. ऐसी चर्चाओं को लेकर भाजपा नेताओं का कहना है कि सीएम योगी अभी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सोच नहीं रहे हैं. पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों के चुनाव परिणाम आने के बाद ही इस मामले में वह कोई फैसला लेंगे. तब तक ओपी राजभर को मंत्रिमंडल विस्तार की बांट जोहनी पड़ेगी.
— राजेंद्र कुमार