पेंशनर का पेंशन खाता स्थानांतरित करने से बैंक नहीं कर सकती इंकार: सेना कोर्ट
लखनऊ, मार्च 26 (TNA) सेना कोर्ट लखनऊ के न्यायमूर्ति उमेशचन्द्र श्रीवास्तव एवं वाईस एडमिरल (रि०) अभय रघुनाथ कार्वे की खण्ड-पीठ ने फर्रुखाबाद स्थित पंजाब नेशनल बैंक शाखा की शाखा फतेहगढ़ को निर्देशित किया कि याची का पेंशन खाता उसकी इच्छानुसार स्थानांतरित किया जाए l प्रकरण यह था कि फर्रुखाबाद निवासी आनरेरी कैप्टन जयपाल सिंह तीस वर्ष से अधिक की लम्बी सैन्य सेवा के बाद सन 2012 में रिटायर हुए और, पत्नी राधादेवी के साथ खुले संयुक्त खाते के माध्यम से पेंशन लेने लगे।
वर्ष 2015 में पत्नी ने पारिवारिक विवाद के कारण याची के पेंशन खाते से पैसा निकालने पर रोंक लगाने संबंधी प्रार्थना-पत्र दिया जिस पर, शाखा-प्रबंधक पंजाब नेशनल बैंक फतेहगढ़ ने रोंक लगा दी । याची 2015 से लेकर लगातार याचना करता रहा कि उसकी पेंशन उसके एकल खाते में स्थानांतरित कर दी जाए लेकिन, उसकी जायज मांगों को बैंक ने सिरे से ख़ारिज कर दिया, जिसके कारण याची को पेंशन मिलनी बंद हो गई और वह मजदूरी करने को मजबूर हो गया।
पेंशन खाते के स्थानांतरण के असफल प्रयास के बाद याची ने अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम से सेना कोर्ट लखनऊ में वाद दायर किया जिसकी सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने पीड़ित के पक्ष में दलील दी कि, याची के बैंक खाते को स्थानांतरित न करना उसके मूलभूत अधिकार का हनन है जबकि, पेंशन न तो किसी की दया पर निर्भर है और, न ही कोई भीख है जिसे, कोई भी रोंक सके, संविधान इसकी इजाजत नहीं देता क्योंकि, पेंशन लंबी और कठिन सेवा द्वारा अर्जित किया गया मौलिक अधिकार है इसलिए, बैंक द्वारा उसके पेंशन खाते को दूसरी शाखा में स्थानांतरित न करना मूलभूत अधिकारों का हनन है।
इसके विपरीत बैंक द्वारा कहा गया कि यह दायित्व भारत सरकार का है बैंक इसके लिए जिम्मेदार नहीं है, जिसके विरोध में भारत सरकार ने पी०सी०डी०ए० (पेंशन) इलाहाबाद के पत्र दिनांक 1 अप्रैल 2011 और सर्कुलर नं० 206 का हवाला देते हुए दलील दी कि इसके लिए बैंक जिम्मेदार है न कि भारत सरकार। सभी पक्षों की दलीलों और प्रस्तुत दस्तावेजों के अवलोकन के बाद कोर्ट ने फर्रुखाबाद स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा फतेहगढ़ को निर्देशित किया कि याची से एक सामान्य-प्रार्थना-पत्र लेकर तीन महीने के अंदर याची का पेंशनखाता स्थानांतरित किया जाए।