शरद पूर्णिमा आज, जानिए क्या है इसका महत्व?
शरद पूर्णिमा के व्रत को कोजागर या कौमुदी व्रत भी कहते है। लक्ष्मी जी को जागृत करने के कारण इस व्रत का नाम कोजागार पड़ा। इस दिन लक्ष्मी नारायण महालक्ष्मी एवं तुलसी का पूजन किया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था। साथ ही माना जाता है कि इस दिन माँ लक्ष्मी रात के समय भ्रमण को निकलती है।
पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। मान्यता है इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झड़ता है। तभी इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखने का विधान है। दूध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है व चावल में स्टार्च।
चंद्रमा की किरणों से ये दोनों तत्व मिलकर और अधिक शक्ति प्राप्त करते हैं। इसी कारण ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में चावल की खीर खुले आसमान के नीचे रखने का विधान किया है। यह हिंदू परंपरा विज्ञान पर आधारित है।