रामदास अठावले पश्चिम यूपी के ओबीसी वोटबैंक बीजेपी से जोड़ने के लिए मेरठ और लखनऊ में करेंगे जन अधिकार रैली

रामदास अठावले पश्चिम यूपी के ओबीसी वोटबैंक बीजेपी से जोड़ने के लिए मेरठ और लखनऊ में करेंगे जन अधिकार रैली

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लखनऊ, सितंबर 26 (TNA) बीते दिनों घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी की हुई हार के बाद अब भाजपा ने ओबीसी और दलित समाज को साधने की मुहिम शुरू की है. इसी क्रम में भाजपा नेताओं ने लोकसभा चुनाव से पहले रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री भारत सरकार रामदास अठावले यूपी में दो बड़ी रैली करने के लिए मना लिया है.

आरपीआई की पहली रैली इसी एक अक्टूबर को मेरठ में होगी और दूसरी रैली लखनऊ में होगी. आरपीआई की यह रैलियां जन अधिकार रैली के नाम से होंगी और इन रैलियों में योगी सरकार के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सहित ओबीसी समाज के बड़े नेता शामिल होंगे.

इस जन अधिकार रैली के बहाने भाजपा की नजर पश्चिमी यूपी के 37.53% ओबीसी मतदाताओं पर है. वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में पश्चिमी यूपी के ओबीसी समाज ने भाजपा के पक्ष में वोटदेकर भाजपा प्रत्याशियों को जिताया था. अब भाजपा की यह मंशा है कि आगामी चुनावों में भी पश्चिमी यूपी में ओबीसी समाज भाजपा का सहारा बने. ऐसे मे ओबीसी समाज का का वोट हासिल कर भाजपा ने वर्ष 2014 और 2019 की तरह ही एक बार फिर आरपीआई के जरिए ओबीसी समाज के बीच सक्रिय होने की योजना तैयार की है. इसी क्रम में एक अक्तूबर को मेरठ के आईटीआई मैदान में

पहली जन अधिकार रैली कर पिछड़ों की राजनीति को साधने की शुरूआत की जाएगी

मेरठ में होने वाली इस रैली में रामदास अठावले सहित यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य विशिष्ट अतिथि होंगे. रैली के मंच पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी सहित तमाम ओबीसी दिग्गजों की मौजूदगी में पिछड़ों के अधिकारों, न्याय और हकों की बात होगी. मेरठ में जन अधिकार रैली को करने का कारण भाजपा नेताओं यह बताते हैं कि मेरठ को पश्चिमी यूपी की सियासी राजधानी माना जाता है. इसी वजह से भाजपा अपने हर सियासी अभियान का आगाज पश्चिमी यूपी से करती है.

पश्चिमी यूपी में इनकी आबादी 35 प्रतिशत है, जिसमें लोधी, साहू, सैनी, वर्मा से लेकर कुर्मी, साहू, कश्यप, पटेल, मौर्य, बघेल, अन्य जातियों पर से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की कमजोर होती जा रही पकड़ के चलते इन जातियों के मतदाताओं को भाजपा अपने पक्ष में एकजुट करने का प्रयास कर रही है.

अब इस क्रम में आरपीआई की रैली में भाजपा नेता ओबीसी समाज का हितैषी होने का दावा करेंगे और राष्ट्रीय फलक पर बढ़ती विपक्षी एकता और यूपी में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) की ओर से पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक यानी पीडीए की एकजुटता के प्रयास को काउंटर करेंगे.

पिछड़ों की आबादी में पश्चिम यूपी दूसरे पायदान पर

यूपी में पिछड़ों की आबादी सबसे अधिक पूर्वांचल क्षेत्र में है. पिछड़ों की आबादी में पश्चिम यूपी दूसरे पायदान पर है. तीसरे पर बुंदेलखंड और मध्य यूपी पिछड़ों की आबादी में चौथे नंबर पर है. समूचे यूपी में इन दिनों पिछड़ों को अपना बनाने के राजुनीतिक दांवपेंच चल रहे हैं. ओबीसी समाज में यादवों का एक बड़ा वर्ग सपा के पास है, इसलिए गैर यादव अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटों पर भाजपा की नजर है. पश्चिमी यूपी में इनकी आबादी 35 प्रतिशत है, जिसमें लोधी, साहू, सैनी, वर्मा से लेकर कुर्मी, साहू, कश्यप, पटेल, मौर्य, बघेल, अन्य जातियों पर से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की कमजोर होती जा रही पकड़ के चलते इन जातियों के मतदाताओं को भाजपा अपने पक्ष में एकजुट करने का प्रयास कर रही है.

वैसे भी  ब्राह्मण, बनियों की पार्टी कही जाने वाली भाजपा के पास 113 ओबीसी सांसद हैं. यूपी में भाजपा के पास ओबीसी समाज के स्वतंत्र देव सिंह और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य जैसे प्रमुख नेता हैं. और ओबीसी समाज को अपने साथ जोड़ने के लिए भाजपा ने पश्चिम यूपी में जिलाध्यक्ष, महानगर अध्यक्षों में पिछड़ों को सबसे ज्यादा तवज्जो दी है. और सोशल मीडिया में भी पार्टी ओबीसी के दो लाख वालंटियर बना रही हैं. ताकि पार्टी के हर संदेश को ओबीसी समाज के एक-एक व्यक्ति तक पहुंचाया जा सके. इन वालंटियर के जरिये जन अधिकार रैली के मैसेज को भी ओबीसी समाज तक पहुंचाया जाएगा.

— राजेंद्र कुमार

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