यूपी में दरियाई घोड़े के नामकरण को लेकर वन मंत्री खफा!

यूपी में दरियाई घोड़े के नामकरण को लेकर वन मंत्री खफा!

3 min read

लखनऊ, अगस्त 26 (TNA) उत्तर प्रदेश के गोरखपुर चिड़ियाघर में जन्में दरियाई घोड़े के बच्चे के नामकरण को लेकर सूबे के वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) वन्यजीव से खफा हो गए हैं. वन मंत्री का आरोप है कि सूबे के पीसीसीएफ वन्यजीव अंजनी कुमार आचार्य ने परंपरा का उल्लंघन करते हुए दरियाई घोड़े के बच्चे का नाम माही रख दिया. जबकि गोरखपुर चिड़ियाघर में विशिष्ट श्रेणी के जानवरों के जन्मे बच्चे का नामकरण मुख्यमंत्री द्वारा किए जाने की परंपरा है.

इस परंपरा के टूटने से वन मंत्री बहुत आहत हुए और उन्होंने इस मामले में पीसीसीएफ वन्यजीव से जवाब-तलब किया है. मंत्री के इस फैसले से सूबे के आईएफ़एस अफसर खासे नाराज हैं. इन लोगों का कहना है कि चिकित्सा घर में जानवरों से जन्मे बच्चे का नामकरण करने को लेकर कोई परंपरा नहीं है. ऐसे में वन मंत्री का पीसीसीएफ वन्यजीव से जवाब-तलब किया उचित नहीं है. अब आईएफ़एस एसोसिएशन में इस मामले पर चर्चा की जाएगी और इसके लिए जल्दी ही एसोसिएशन की बैठक बुलाई जाएगी.

ऐसे शुरू हुआ विवाद

गोरखपुर चिड़ियाघर में जन्में दरियाई घोड़े के बच्चे का नामकरण इसी माह किया गया. दरियाई घोड़े का यह बच्चा इस साल के पहले दिन जन्मा था. जिसका नाम पीसीसीएफ वन्यजीव अंजनी कुमार आचार्य ने गत 24 अगस्त को माही रखा. वन विभाग के अफसरों के अनुसार मार्च 2021 में कानपुर के चिड़ियाघर से लाए गए नर और मादा दरियाई घोड़े का बच्चा इस साल के पहले दिन जन्मा था.

जिसका नाम अभी तक रखा नहीं गया था. ऐसे में जब 24 अगस्त पीसीसीएफ वन्यजीव अंजनी कुमार आचार्य गोरखपुर चिड़ियाघर पहुंचे तो उन्होने दरियाई घोड़े के बच्चे का नामकरण कर दिया. जब इसकी खबर सूबे के वन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरुण कुमार सक्सेना को हुई तो वह खफा हो गए.

इस मामले में भी वनमंत्री ने आपत्ति करते हुए पीसीसीएफ वन्यजीव को पत्र लिखकर कहा है कि यह प्रशासनिक नजरिए से उचित नहीं है, आपने बिना सूचना दिए गोरखपुर चिड़ियाघर का भ्रमण किया और वहां दरियाई घोड़े के बच्चे का नाम माही रखा.

अरुण कुमार ने पीसीसीएफ वन्यजीव द्वारा दरियाई घोड़े के बच्चे का नामकरण करने को परंपरा का परंपरा का उल्लंघन किया जाना बताया. यह भी कहा कि आमतौर पर गोरखपुर के चिड़ियाघर में विशिष्ट जानवरों का नामकरण मुख्यमंत्री ही करते हैं। ऐसे में बिना किसी उच्चस्तर से अनुमति लिए या अनुमोदन के नन्हें दरियाई घोड़े का नामकरण करना उचित नहीं है.

वन मंत्री का यह भी कहना है कि पीसीसीएफ वन्यजीव ने अपने गोरखपुर भ्रमण के कार्यक्रम को लेकर भी उन्हे कोई जानकारी नहीं दी. इस मामले में भी वनमंत्री ने आपत्ति करते हुए पीसीसीएफ वन्यजीव को पत्र लिखकर कहा है कि यह प्रशासनिक नजरिए से उचित नहीं है, आपने बिना सूचना दिए गोरखपुर चिड़ियाघर का भ्रमण किया और वहां दरियाई घोड़े के बच्चे का नाम माही रखा.

आईएफ़एस अफसरों का कहना है

अब वन मंत्री के इस पत्र को लेकर सूबे के आईएफ़एस अफसर खफा हैं. उनका कहना है कि पीसीसीएफ स्तर से अफसर से इस तरह से जवाब मांगा जाना उचित नहीं हैं. पीसीसीएफ स्तर अधिकारी मंत्री से पूछ कर या उन्हे सूचित कर दौरे पर जाए, ऐसा कोई नियम सर्विस बुक में नहीं है. आईएफ़एस और अन्य अखिल भारतीय सेवा के अफसर इस तरह की जवाब देही के दायरे में नहीं आते. आईएफ़एस अफसरों का यह भी कहना है कि जानवरों के नन्हें बच्चों का नामकरण करने को लेकर भी वन विभाग में कोई नियम नहीं बना है.

चिड़ियाघर के वनाधिकारी और पीसीसीएफ वन्यजीव ही आपस में सलाह कर नन्हें बच्चों के नाम रखते रहे हैं. मुख्यमंत्री और वन मंत्री ने भी इस मामले में रुचि दिखाते हुए जानवरों के बच्चों के नाम रखे हैं, लेकिन इस बारे में कोई परंपरा नहीं रही हैं. अब चूंकि इस मामले में वनमंत्री ने पीसीसीएफ वन्यजीव से जवाब तलब किया है, तो इस मामले में आईएफ़एस एसोसिएशन में भी विचार किया जाएगा. ताकि इस तरह का विवाद फिर ना खड़ा हो.

 — राजेंद्र कुमार

logo
The News Agency
www.thenewsagency.in