आखिर क्यों लिया था शिव जी ने हनुमान जी के रूप में जन्म ??
राम को अपना प्रिय ईष्ट माना और भगवान शिव जी ने उनकी सेवा करने के लिए पृथ्वी पर अवतार की इच्छा जाहिर की। जब सती ने इसका विरोध किया और कहा कि वह उन्हें स्मरण करेंगी तो शिव ने केवल खुद का एक हिस्सा पृथ्वी पर भेजने का वादा किया और खुद कैलाश पर उनके साथ रहे।
आखिर शिव जी क्यों चाहते थे श्री राम के सेवक बनना ?
शिव जी को भोलेनाथ इसीलिए कहते हैं क्योंकि वो तुरंत प्रसन्न होने वाले देव हैं , किसी को श्राप नहीं देते लेकिन जब सती ने यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए तब शिव जी क्रोधित होकर ब्रह्माड में सती का जलता हुआ शव लेकर घूम रहे थे , श्री नारायण ने उनको रोकने का प्रयास किया जिससे शिव जी क्रोधित होकर नारायण भगवान को श्राप दे बैठे थे कि नारायण भी अपनी पत्नी के वियोग में शिव जी की तरह भटकते फिरेंगे तब उनको शिव जी की पीड़ा का एहसास होगा ।
क्रोध शांत होने पर शिवजी को इस बात का बहुत दुख हुआ और उन्होंने निश्चय किया कि वो ही नारायण के इस कष्ट का निवारण भी करेंगे । वे सोच रहे थे कि क्या करना चाहिए, इस समस्या पर चर्चा करने लगे; यदि वह मनुष्य के आकार को लेते है, तो वह सेवा के धर्म का उल्लंघन करेगें, क्योंकि सेवक मालिक से बड़ा नहीं होना चाहिए।
शिव ने आखिरकार एक बंदर का रूप धारण करने का निर्णय लिया, क्योंकि यह विनम्र होता है, इसकी जरूरतें और जीवनशैली सरल होती है: कोई आश्रय नहीं, कोई पका हुआ भोजन नहीं और जीवन स्तर के नियमों का कोई पालन नहीं होती है। इससे सेवा के लिए अधिकतम दायरे की अनुमति होगी। इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि कभी खुद से गलती हो तो सुधार भी खुद ही करो
जय श्री राम 🙏🏻