उत्तर प्रदेश में शराबबंदी के पक्ष में नहीं योगी सरकार, शराबबंदी से अवैध शराब की तस्करी बढ़ेगी : आबकारी मंत्री
लखनऊ, दिसंबर 2 (TNA) शराबबंदी जारी रखी जाए या नहीं. इस सवाल को लेकर बिहार की नीतीश सरकार घर-घर सर्वे करा रही है, लेकिन योगी सरकार उत्तर प्रदेश में शराबबंदी लागू करने के पक्ष में नहीं है. उत्तर प्रदेश के आबकारी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नितिन अग्रवाल विधानसभा में प्रदेश में शराबबंदी नहीं लागू ना करने का ऐलान कर दिया. आबकारी मंत्री का कहना है कि शराबबंदी करने से प्रदेश में अवैध शराब की तस्करी बढ़ेगी और राजस्व कम मिलने से विकास योजनाएं प्रभावित होंगी. इसलिए उत्तर प्रदेश में शराबबंदी करने का सवाल ही नहीं उठता.
सपा विधायकों की शराबबंदी की मांग
यूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन सदन में समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक स्वामी ओमवेश और अभय सिंह ने शराबबंदी का मुद्दा उठाया था. स्वामी ओमवेश ने प्रदेश में शराब बिक्री के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया जाने की मांग की ताकि युवाओं को शराब नहीं मिले.
जबकि सपा विधायक अभय सिंह ने लखनऊ की समिट बिल्डिंग में संचालित बार में नाबालिग युवक युवतियों को शराब पिलाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि राजधानी में आबकारी विभाग की अनदेखी के कारण मर्यादा शर्मसार हो रही है. सूबे के हर जिले में युवाओं में शराब पीने की लत बढ़ रही है, इसलिए राज्य में शराबबंदी लागू की जाए. अभय सिंह ने विधायकों की एक कमेटी बनाकर समिट बिल्डिंग का निरीक्षण कराने का मुद्दा भी उठाया.
शराब की बिक्री से जुटाया 42,250 करोड़ रुपए का राजस्व
सपा विधायकों द्वारा उठाए गए शराबबंदी के मुद्दे को लेकर आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने कहा कि यूपी में शराबबंदी का कोई सवाल ही नहीं है. सूबे की सरकार किसी को शराब पीने के लिए बाध्य नहीं करती. अब रही बात शराब बिक्री के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया जाने की तो केंद्र सरकार के अधिनियम के अनुसार आधार कार्ड केवल उन्हीं सेवाओं में अनिवार्य किया जा सकता है जिसमें सरकार सब्सिडी या सुविधाएं देती है. हालांकि सरकार यह सुनिश्चित करती है कि 21 वर्ष से कम आयु के युवाओं को शराब नहीं बेची जाए.
इस नियम का कड़ाई से पालन भी किया जा रहा है. आबकारी मंत्री ने सदन को बताया कि शराब की बिक्री के जरिए सरकार बड़ा राजस्व जुटाती है. राज्य में वित्त वर्ष 2023 में शराब की बिक्री से 42,250 करोड़ रुपए का उत्पाद शुल्क राजस्व अर्जित किया गया जो वर्ष 2017-18 में दर्ज 14,000 करोड़ रुपए से तीन गुना अधिक है. योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से शराब से राजस्व के मामले में कर्नाटक को पीछे छोड़कर उत्तर प्रदेश नंबर एक के स्थान पर पहुंच गया है.
इन आंकड़े का जिक्र करते हुए आबकारी मंत्री न कहा कि शराब की बिक्री से मिलने वाले राजस्व का उपयोग सरकार विकास योजनाओं पर करती है. शराबबंदी करने से उपभोक्ताओं को निर्धारित मानक के अनुरूप मदिरा उपलब्ध नहीं हो सकेगी. इससे शराब की तस्करी बढ़ेगी. इसलिए यूपी में शराबबंदी नहीं की जाएगी और जिस तरह से शराब बिक रही है, उसी व्यवस्था से शराब की बिक्री जारी रहेगी.
— राजेंद्र कुमार