संयुक्ता भाटिया ने किया ‘नारी उत्थान’ विषय पर अभिलेख प्रदर्शनी का उद्घाटन

संयुक्ता भाटिया ने किया ‘नारी उत्थान’ विषय पर अभिलेख प्रदर्शनी का उद्घाटन

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लखनऊ || नवरात्रि आस्था एवं आध्यात्मिकता के साथ ही साथ नारी शक्ति की उपासना का पर्व है। इस अवसर पर आज दिनांक 21 अक्टूबर, 2020 को महिलाओं एवं बालिकाओं की सहभागिता एवं सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए ‘नारी उत्थान’ विषय पर अभिलेख प्रदर्शनी का उद्घाटन संयुक्ता भाटिया, महापौर नगर निगम, लखनऊ द्वारा किया गया। इस अवसर पर कार्यालय के निदेशक रूबीना बेग, सहायक निदेशक एवं प्रशासकीय अधिकारी मोहसिन नूरी ने शसंयुक्ता भाटिया, महापौर को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।

प्रदर्शनी में महापौर ने महिलाओं की स्थिति के संबंधित में पूर्व काल में किये प्रयासों से संबंधित अभिलेखों का अवलोकन किया एवं विचार व्यक्त किया कि प्रदर्शनी में बालिकाओं एवं महिलाओं के सामाजिक विकास के संबंध में विभिन्न अभिलेख जैसे-पुत्रियों को सम्पत्ति में अधिकार, बाल विवाह, महिलाओं को नौकरी का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, महिलाओं को वकालत का अधिकार आदि प्रदर्शित किए जा रहे हैं, जो महिलाओं को शिक्षित, सुरक्षित और स्वालम्बित बनाने हेतु प्रेरणादयक है।भाटिया ने प्रदर्शनी के आयोजन हेतु कार्यालय के कर्मियों के प्रयासों के लिए आभार व शुभकामनाएं दी।

उ0प्र0 राजकीय अभिलेखागार परिसर में आयोजित प्रदर्शनी में विभिन्न अभिलेखों द्वारा 19वीं शताब्दी में स्त्रियों की स्थिति एवं उनके उत्थान हेतु किये गये प्रयासों से संबंधित अभिलेखों को प्रदर्शित किया गया है जैसे-शिशु कन्या वध अमानवीय प्रथा कतिपय राजपूत राजवंशों तथा अन्य जातियों में प्रचलित थी, इस प्रथा के कारणों, रोकथाम के उपायों को दर्शाने वाले अभिलेखों का अपना विशिष्ट महत्व है।

19वीं शातब्दी में मानवतावादी आवेगों से उत्प्रेरित होकर समाज सुधारकों ने विवाह पद्धति के दोषों दहेज प्रथा व बाल विवाह का निषेध कराने एवं स्त्रियों के तलाक संबंधी अधिकारों की वकालत की थी। इस विषय में दहेज प्रथा की रोकथाम संबंधी अभिलेख आज भी प्रासंगिक हैं। बाल-विवाह की कुरीति पर चोट करने हेतु ‘हर विलास शारदा’ द्वारा प्रस्तुत बिल का ऐतिहासिक महत्व है।

स्त्रियों के पिछड़ेपन एवं उनके उत्पीड़न में शिक्षा का अभाव एक प्रमुख कारण रहा है। इस दृष्टि से स्त्री शिक्षा से सम्बन्धित अभिलेखीय सामग्री अत्यन्त ज्ञानवर्धक एवं रोचक है, इसमें स्त्री शिक्षा की स्थिति एवं उसमें बाधक तत्व, सरकारी रूख तथा स्त्री शिक्षा के विकास हेतु किये गये सरकारी तथा गैर सरकारी प्रयासों को दर्शाती है।

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