उत्तर प्रदेश में अब मिट्टी में मिलेगी बची-खुची माफियागिरी !

उत्तर प्रदेश में अब मिट्टी में मिलेगी बची-खुची माफियागिरी !

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पुराने अतीत पर ग़ौर कीजिए तो बिहार की तरह उत्तर प्रदेश भी माफियाओं और माफियागिरी के लिए बदनाम था। बीमारू राज्य या जंगल राज ताने सुनकर यूपी की शांतिप्रिय जनता शर्मिन्दा होती थी। अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता सताती थी।अपने सूबे के इस कलंक को मिटाने के लिए बदलाव की आंधी ने एक योगी को सत्ता की ज़िम्मेदारी दी। पहले कार्यकाल में कानून व्यवस्था में इम्प्रूवमेंट हुआ, दंगों और माफियाओं से मुक्ति मिली तो विकास ने भी रफ्तार पकड़ी। देश-दुनिया के पूंजीपतियों को अब ये सूबा व्यवसायिक निवेश के क़ाबिल लगने लगा।

दशकों से अपराध और अपराधियों की शहंशाहत की बर्फ इतनी मोटी जम गई थी कि इसे पिघलाने में वक्त तो लगना ही था। राजनीतिक संरक्षण से सजे माफियाओं के जमे-जमाए तख्त-ओ-ताज पर तेजी से रन्दा चला। समाज-विरोधी अराजक तत्व, गुंडे बदमाश यूपी से पलायन करने लगे, जो बचे वो जेलों में ठूंसे गए। जो जेल और प्रदेश छोड़कर नहीं गए उन्हें पुलिस मुठभेड़ में दुनिया छोड़नी पड़ी।

योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार में अस्सी फीसद अपराध और अपराधी समाप्त हो गए। एक अनुमान के मुताबिक अभी भी बीस प्रतिशत माफियाओं के गुर्गे पत्थरों, घास या मिट्टी में छिपे कीड़े मकौड़ों की तरह बचे हैं। कभी-कभी मौका पाकर ये सिर उठाते दिखते हैं। प्रयागराज हत्याकांड भी बचे-खुचे माफियाओं के गुर्गों की सक्रियता का प्रमाण है।

यूपी में तीस साल से अधिक समय से क्राइम रिपोर्टिंग कर रहे मनोज वाजपेई का मानना है कि योगी सरकार का पहला कार्यकाल क़रीब अस्सी प्रतिशत अपराध और बड़े अपराधियों पर काबू पा चुकी है। कानून व्यवस्था 2017 से पहले की अपेक्षा बहुत बेहतर हुई।

लेकिन ये राहत देने वाली बात है कि प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के कुछ घंटों के बाद ही यूपी विधानसभा में प्रदेश के मुखिया ने पच्चीस करोड़ जनता को आश्वस्त कर दिया है कि बचे-खुचे माफिया भी मिट्टी में मिला दिए जाएंगे। पिछली सपा-बसपा सरकारों ने जिन्हें माननीय बनाने का दुस्साहस किया और सत्ता के संरक्षण में करोड़ों-अरबों की कीमत की सरकारी जमीनों पर अवैध कबजे हुए।

माफियाओं और भूमाफियाओं का पुराना जलवा-जलाल अब योगी सरकार लगातार ढहा रही है। सरकारी जमीनों पर बने अपराध के महलों पर बुलडोजर चलवाकर अरबों की कीमतों की सरकारी जमीनें कब्जा मुक्त की जा चुकी हैं। संगठित अपराध हाशिए पर आ चुका है।

यूपी में तीस साल से अधिक समय से क्राइम रिपोर्टिंग कर रहे मनोज वाजपेई का मानना है कि योगी सरकार का पहला कार्यकाल क़रीब अस्सी प्रतिशत अपराध और बड़े अपराधियों पर काबू पा चुकी है। कानून व्यवस्था 2017 से पहले की अपेक्षा बहुत बेहतर हुई।

साम्प्रदायिक दंगों से सूबा लगभग मुक्त हो चुका है। प्रयागराज के हत्याकांड को लेकर और भी सख्त हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफियाओं को मिट्टी में मिलाने का जो संकल्प लिया है उसका असर दूसरे दिन से ही नजर आने लगा। हत्याकांड में सम्मिलित अपराधियों को दबोचने में पुलिस कामयाब हो रही है। मुठभेड़ का सिलसिला समाज विरोधी तत्वों के हौसलों को मिट्टी में मिला रहा है। बुल्डोजर की गरज से बचे-खुचे अपराधियों के हौसले पस्त हो रहे हैं।

पिछले पांच वर्षों में आपराधिक घटनों की संख्या में आई गिरावट और वर्तमान में अपराधियों पर पुनः सख्ती बरतने वाला योगी सरकार का सेकेंड एक्शन देखकर लगता है कि बचे-खुचे अपराधी और माफिया भी अब हाशिए पर आ जाएंगे। कानून तोड़ने का प्रयास करने वालों के समक्ष कानून तोड़ने के नतीजों का डर सामने आता है तो आम जनता को बेहतर कानून व्यवस्था का लाभ मिलता है।

— नवेद शिकोह

(Writer is a Lucknow-based, senior, freelance journalist)

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