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खामोशी में है इश्क़ का इज़हार, सामने इसके गुफ़्तगू क्या है ...
दरमियाँ अपने जुस्तजू क्या है
बोलिये दिल के रूबरू क्या है
खामोशी में है इश्क़ का इज़हार
सामने इसके गुफ़्तगू क्या है
चन्द लम्हों का खेल है हस्ती
हर घड़ी फिर ये हाव-हू क्या है
चाक दामन को ख़ुद ही सीते हैं
हम ग़रीबों की आबरू क्या है
बे-तलब ही पियें, शराब तो दे
देखें तो जाम और सुबू क्या है
ख़्वाब तो थे हसीन फूलों के
और ताबीर रूबरू क्या है
अशके ग़म से किया है जो मैं ने
वो नहीं है तो फिर वज़ू क्या है
उसके महरम 'समीर' हो देखो
अस्लियत में वो माहरू क्या है !
- समीर 'लखनवी'
(लेखक रेडियो 92.7 Big Fm में क्लस्टर प्रोग्रामिंग हेड हैं)
{हाव-हू-Hue & Cry ; सुबू- goblet (शराब का बरतन); ताबीर-interpretation ; वज़ू- ablution (अपने आप को साफ रखने की प्रक्रिया); माहरु-having a face as beautiful as the moon}